उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के सांसद और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दोबारा प्रधानमंत्री बनाने की दिशा में भाजपा पूरे ज़ोरशोर से लग गयी है. इसी कड़ी में वाराणसी के लोग पीएम मोदी से बतौर पीएम और बतौर सांसद कितना संतुष्ट रहे, ये जानने के लिए वाराणसी पहुंची UttarPradesh.Org की टीम
वाराणसी का मूड जानने पहुंची UttarPradesh.Org की टीम
लोकसभा 2019 चुनाव का जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है वैसे-वैसे ही शहर और जनता का मूड भी बदलता नजर आ रहा है। इसी को देखते हुए UttarPradesh.Org की टीम वाराणसी पहुंची. जहाँ हमने बीएचयू से लेकर अस्सी घाट और काशी विश्वनाथ मंदिर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक लोगों के मन को टटोला और ली काशीवासियों की राय.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में कितना हुआ विकास:
UttarPradesh.Org की टीम सबसे पहले पहुंची वाराणसी के अस्सी घाट पर, जहाँ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर 2014 को फावड़ा चला कर स्वच्छता अभियान की शुरुआत की थी।
UttarPradesh.Org की टीम अस्सी घाट पर जब पहुँची तो सुबह-ए-बनारस का कार्यक्रम हो रहा था। जहां हमारी टीम ने बुजुर्गों, युवाओं, महिलाओं से जिले के सांसद के बारे में जाना।
लोगो ने हमे बताया कि पीएम नरेंद्र मोदी के आने से जितना विकास हुआ है इससे पहले पिछली सरकार में नही हुआ था। वहीं युवाओं ने भी एक ओर जहाँ ज़ोरो-शोरो से प्रधानमंत्री मोदी के विकास कार्यों की सराहना की तो वहीं दूसरी ओर रोज़गार को लेकर पीएम को जिम्मेदार भी ठहराया।
बीएचयू और काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंचे हमारे संवाददाता:
इसके बाद UttarPradesh.Org की टीम बीएचयू और काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंची. वहाँ भी कुछ युवा जिले के सासंद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यों से संतुष्ट दिखे तो कुछ असंतुष्ट दिखे। युवाओं में ज्यादातर रोजगार को लेकर पीएम मोदी के प्रति असंतुष्टता देखने को मिली.
वहीं उनकी तारीख करने वालों की संख्या भी कुछ कम नहीं थी. जिन्होंने माना कि बतौर सांसद और पीएम नरेंद्र मोदी ने अच्छा काम किया.
ग्रामीण क्षेत्रों की महिला दिखी असंतुष्ट:
ग्रामीण क्षेत्रों के हाल जानने के बाद UttarPradesh.Org की टीम पहुंची ग्रामीण क्षेत्र में जहां हमारी टीम ने रमना और टिकरी गाँव का दौरा किया. इस दौरान इन 4.5 सालों में पीएम मोदी के कार्यो से लोग खासे नाखुश दिखे.
महिलाओं ने बताया कि उन्हें ना तो आवास मिला है और ना ही शौचालय. कई ग्रामीण महिलाओं से जब हमने बात की तो उन्होंने बताया कि उनके गाँव के प्रधानों ने ना आवास दिया है ना ही शौचालय. जिससे ग्रामीण क्षेत्रों के लोग ख़ास कर महिलाएं प्रधानमंत्री के कार्यो से नाखुश दिखी।