वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल ने मंगलवार को योगी सरकार का पहला बजट पेश किया था. राजेश अग्रवाल ने 3.84 लाख करोड़ का बजट पेश किया था. वित्त मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री का लक्ष्य है कि अगले पांच साल में प्रदेश की विकास दर 10 प्रतिशत हो.
औद्योगिक विकास पर जोर:
- विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना के लिए 10 करोड़ रुपये की व्यवस्था.
- लखनऊ में इन्क्यूबेटर्स की स्थापना के लिए 5 करोड़ रुपये की व्यवस्था.
- सिंगल विंडों क्लियरेंस की स्थापना के लिए 10 करोड़ रुपये की व्यवस्था.
- औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन के लिए विशेष निवेश बोर्ड की स्थापना के लिए 5 करोड़ रुपये की व्यवस्था.
- औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति, 2017’ के क्रियान्वयन के लिए 20 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई थी.
- लेकिन औद्योगिक क्षेत्रों की सुरक्षा, संरचना और ढांचागत विकास से जुड़े कई पहलुओं पर उद्यमियों को जैसी उम्मीद थी वो नहीं हुआ.
वाराणसी और गोरखपुर ही पूरा पूर्वांचल?
- पूर्वांचल के विकास के लिए बजट का प्रावधान है लेकिन औद्योगिक विकास के लिए अलग से कोई बजट नहीं है.
- पूर्वांचल के लिए 300 करोड़ का विशेष पैकेज दिया गया.
- लेकिन पूर्वांचल के पिछड़ेपन को देखते हुए ये बजट कहीं नहीं टिकता है.
- पूर्वांचल की समस्या इतनी पुरानी और जटिल है कि यहाँ बुनियादी सुविधाओं को दुरुस्त किये जाने की जरुरत है.
- पूर्वांचल का विकास करने का दावा करने वाली योगी सरकार को गोरखपुर और वाराणसी के अलावा अन्य जिलों पर भी नजर डालनी होगी.
- पीएम के संसदीय क्षेत्र वाराणसी और सीएम के गृहनगर गोरखपुर को छोड़ दें तो शेष पूर्वांचल का विकास कागजों में ही सिमटा है.
- पूर्वांचल एक्सप्रेस वे पर ध्यान देने की बात कही गई.
- लेकिन पहले बजट के बाद इसके शुरू होने को लेकर शंका ही नजर आती है.
- 19000 करोड़ से ज्यादा के बजट के इस एक्सप्रेस से लिंक रोड निकालने की बात भी हो रही है.
बाढ़ प्रभावित जिलों से सरकार ने बनाई दूरी:
- बाढ़ और आपदा प्रबंधन के लिए सरकार ने बजट में जगह तो दी है.
- लेकिन जिस प्रकार का प्रबंध जमीनी स्तर पर देखने को मिला है उसकी सुध सरकार नहीं ले रही है.
- पहली बारिश ने महाराजगंज, बलिया, बहराइच, गोंडा और मिर्जापुर में आतंक फैलाना शुरू कर दिया है.
- लेकिन विभाग और विभागीय मंत्री इससे अछूते नजर आ रहे हैं.
- पूर्वांचल की सड़कें वहां की बदहाली की दास्तान सुनाती हैं.
- गड्ढे भरने के निर्देश के बावजूद ऐसा काम हुआ है कि दो दिन की बारिश में सब बह चला है.
- कई जगह पर फिर से गड्ढे उभर आये हैं.
- विभाग ने लापरवाही की लेकिन उनसे सख्ती से निपटने के लिए फ़िलहाल सरकार के पास योजना नहीं है.
- रोजगार के नाम पर पुलिस की भर्ती ने उम्मीद जगाई है.
- इसके अलावा कोई ठोस कदम सरकार उठाते हुए नहीं दिखाई दे रही है.
- अपेक्षाओं के बोझ तले दबी योगी सरकार के लिए पूर्वांचल की माली हालत सुधारने का जिम्मा है.
- जिसके लिए 300 करोड़ का खिलौना शायद ही काम आये.
- सरकार को गोरखपुर और वाराणसी के अलावा पूर्वांचल के अन्य जिलों में बुनियादी सुविधाओं को दुरुस्त करने की जिम्मेदारी है.
गाजीपुर, मऊ, देवरिया, बलिया जैसे जिलों की स्थिति सुधारने के लिए सरकार को ठोस उपाय करने होंगे. पूर्वांचल की जनता से किये गए वादों को पूरा करने के लिए सरकार के पास वक्त तो है लेकिन शायद संसाधनों की कमी और विभाग की लापरवाही इनके लिए चुनौती न बन जाये.