प्रदेश की भाजपा सरकार ने लखनऊ से गाजीपुर के लिए शुरू हुए पूर्वांचल एक्सप्रेस के पूर्ववर्ती सपा सरकार में हुए टेंडर को निरस्त करने की मंजूरी सत्ता में आने के बाद एक जून को दे दी। प्रदेश के आठ जनपदों को जोडऩे वाले इस हाईवे के बन जाने से आने-जाने वाले यात्रियों को राहत मिलेगी। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुयी बैठक में यह फैसला लिया गया। प्रदेश के औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना का कहना है कि लखनऊ से गाजीपुर तक बनने वाले इस एक्सप्रेस-वे की प्रक्रिया अब नये सिरे से शुरू की जायेगी।
उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया तब शुरू होगी जब 80 प्रतिशत जमीन का अधिग्रहण कर लिया जाय अभी केवल 40.17 फीसदी जमीन का अधिग्रहण ही हुआ है। पूर्व की सपा सरकार ने इस एक्सप्रेस वे बनाने के लिए छह कंपनियों को टेंडर की मंजूरी दी थी। महाना ने बताया कि 11 मई तक पुराने टेंडर की अवधि पूरी हो गई थी। सरकार ने इसे न बढ़ाकर रद्द करने का फैसला कर लिया है। अब नए टेंडर करके इस एक्सप्रेस वे को दो साल में पूरा कर लिया जाएगा। यह एक्सप्रेस-वे करीब 343 किलोमीटर का होगा।
इन जनपदों को मिलेगा लाभ
पूर्वाचंल एक्सप्रेस वे बन जाने के बाद राजधानी लखनऊ सहित आठ जनपद इस एक्सप्रेस वे से लाभान्वित होंगे। लाभान्वित होने वाले जनपदों में प्रमुख रूप से लखनऊ, बाराबंकी, सुलतानपुर, फैजाबाद, अम्बेडकरनगर, आजमगढ़, मऊ व गाजीपुर जनपद प्रमुख हैं।
अखिलेश ने रखी थी नींव
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अक्टूबर 2015 में अधिकारियों से इस परियोजना की डीपीआर डिटेन्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट तीन माह में तैयार करने का आदेश दिया था। इस परियोजना की नींव का पत्थर दिसम्बर 2016 में तत्कालीन सीएम अखिलेश यादव ने रखा था।
सपा सरकार की महत्वपूर्ण परियोजना
प्रदेश की पूर्ववर्ती समाजवादी सरकार ने विधानसभा 2017 के चुनावों के पूर्व प्रदेश की जनता को अपने पक्ष में करने के लिए कई परियोजनाओं पर काम करना शुरू किया था, जिनमें आगरा लखनऊ एक्सप्रेस वे, मेट्रो परियोजना प्रमुख रही। प्रदेश की पूर्ववर्ती सरकार अपनी इन्हीं परियोजनाओं के दम पर प्रदेश की सत्ता पर काबिज होने का दोबारा प्रयास कर रही थी। सरकार इन परियोजनाओं को लेकर इतनी जल्दी में थी कि आनन-फानन में इन परियोजनाओं का शुभारम्भ भी करना चाहती थी, मेट्रो रेल इसका उदाहरण है।
खदानों से ली जायेगी निर्माण सामग्री
प्रदेश की योगी सरकार पूर्वांचल एक्सप्रेस वे की लागत कम करने के लिए यूपीडा निर्माण सामग्री सीधे खदानों से लेने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए यूपीडा के माइनिंग विभाग के अफसर अधिकारियों से बात भी करेंगे। इसके अतिरिक्त एक्सप्रेस-वे बनाने के लिए अब नए सिरे से निविदाएं मंगवाई जाएंगी। इसके लिए नए सिरे से शर्तें भी तय होंगी। यूपीडा (उत्तर प्रदेश डिवेलपमेंट अथॉरिटी) से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक, इस दौरान जो निविदाएं आएंगी, उससे एक्सप्रेस-वे की कॉस्ट में कुछ कमी आ सकती है। इस एक्सप्रेस-वे के लिए राज्य सरकार ने करीब 19,000 करोड़ रुपये के खर्च का अनुमान लगाया है, जिसमें करीब 12,000 करोड़ रुपये निर्माण कार्य में खर्च होने हैं, बाकी 7,000 करोड़ रुपये से जमीन की खरीद होनी है। हालांकि अभी तक 17,187 करोड़ रुपये की लागत तय की गई है।
एम्बुलेंस के बाद एक्सप्रेस वे से भी हटेगा समाजवादी
प्रदेश सरकार पूर्वांचल एक्सप्रेस वे में समाजवादी नाम को हटा दिया है। अब यह एक्सप्रेस वे सिफ पूर्वांचल एक्सप्रेस वे के नाम से जाना जायेगा। प्रदेश के औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना ने कहा कि विगत सरकार ने हर योजना के पीछे समाजवादी शब्द लगा दिया था, एम्बुलेंस के बाद सरकार ने एक्सप्रेस वे से भी समाजवादी शब्द हटा दिया।
काशी आयोध्या को जोड़ेगा एक्सप्रेस वे
प्रदेश सरकार की पर्यटन को बढ़ावा देने की नीति के तहत इस एक्सप्रेस वे को अयोध्या से भी लिंक रोड से जोड़ा जायेगा। यह लिंक रोड करीब 25 किलोमीटर की होगी। इससे दिल्ली से अयोध्या पहुंचने में सैलानियों को करीब छह घंटे का वक्त लगेगा, जिससे अब तक 12 से 13 घंटे लगते हैं। वहीं लखनऊ से भी अयोध्या की दूरी डेढ़ घंटे में पूरी हो जाएगी। इसके अलावा वाराणसी को भी लिंक रोड से जोड़ा जाएगा, पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे की यह लिंक रोड आजमगढ़ से जोड़ी जाएगी, इसके लिए करीब 80 किलोमीटर की लिंक रोड बनाई जाएगी।
85 प्रतिशत जमीन का हुआ अधिग्रहण
एक्सप्रेस-वे बनाने के लिए यूपीडा 9 जिलों में 85 प्रतिशत से ज्यादा जमीन अधिग्रहीत कर चुकी है। यूपीडा के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक 90 प्रतिशत जमीन होने की स्थिति में ही निर्माण कार्य शुरू किया जा सकता है। एक्सप्रेस-वे के लिए यूपीडा को 4335.67 हेक्टेअर जमीन अधिग्रहीत करनी है। अब तक कुल 3329.91 हेक्टेअर जमीन अधिग्रहीत की जा चुकी है। इसमें 438 हेक्टेअर जमीन का पुनर्ग्रहण होना है। एक्सप्रेस-वे के लिए 9 जिलों में जमीन खरीद की प्रक्रिया चल रही है। एक्सप्रेस-वे निर्माण के लिए बैंकों के कंसोर्सियम से 5,000 करोड़ रुपये का कर्ज लेने की प्रक्रिया यूपीडा ने शुरू कर दी है।
30 महीनों में पूरी होगी योजना
पूर्वांचल एक्सप्रेस वे अधिकारियों के मुताबिक यह एक्सप्रेस वे 30 महीनों में पूरा हो जायेगा। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि उन्होंने बिहार सरकार को प्रस्ताव दिया हुआ है कि अगर वह भूमि उपलब्ध कराते हैं तो पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे को पटना तक बढ़ाया जा सकता है। पटना एक्सप्रेस-वे पर करीब 2000 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। उन्होंने बताया कि पटना से बक्सर के बीच चार-लेन हाइवे प्रॉजेक्ट पहले से प्रस्तावित है, जिसे यूपी के गाजीपुर तक बढ़ाया जा सकता है।
देश का सबसे लम्बा एक्सप्रेस-वे
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे बनाने और फंड करने का प्रस्ताव रखा है। 350 किलोमीटर लंबा पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे लखनऊ को गाजीपुर से जोड़ेगा। पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे देश का सबसे लंबा एक्सप्रेस-वे होगा। पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे को पटना से जोडऩे के लिए एनएचआई द्वारा प्रस्तावित पटना एक्सप्रेस-वे लखनऊ और पटना के बीच का समय आधा कर देगा। तीसरा प्रॉजेक्ट लखनऊ में एक आउटर रिंग रोड का निर्माण होगा। इसका उद्देश्य 302 किलोमीटर लंबे आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे को पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे से जोडऩा होगा। आउटर रिंग रोड बनाने से लखनऊ शहर के ट्रैफिक को झेले बिना गाड़ियां पूर्वांचल एक्सप्रेस वे पहुंच जाएंगी।
सपा सरकार ने 6 कंपनियों को दिए थे टेंडर
यूपीडा से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक, इस एक्सप्रेस-वे के लिए राज्य सरकार ने करीब 19,000 करोड़ रुपये के खर्च का अनुमान लगाया है, जिसमें करीब 12,000 करोड़ रुपये निर्माण कार्य में खर्च होने हैं, बाकी 7,000 करोड़ रुपये से जमीन की खरीद होनी है। एक्सप्रेस-वे की कॉस्ट में इजाफा न हो, इसके लिए यूपीडा ने 90 प्रतिशत जमीनों का अधिग्रहण होने के बाद टेंडर फाइनल किया। टेंडर की प्रक्रिया शुरू होने के बाद टेंडर फाइनल होने में 6 महीने लगे। सपा सरकार में मुख्य सचिव ने 8 पैकेज में बनने वाले पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के लिए 6 कंपनियों को टेंडर दिए थे। इसमें 4 कंपनियों को एक-एक पैकेज और दो कंपनियों को दो-दो पैकेज दिए गए थे।
इन कंपनियों के टेंडर हुए थे
पैकेज-1 एनसीसी
पैकेज-2 अशोका बिल्डकॉन
पैकेज-3 और 8 पीएनसी
पैकेज-5,6 एफक्रॉन
पैकेज-7 गायत्री कंस्ट्रक्शन
इन जिलों में हुआ जमीन का अधिग्रहण
लखनऊ 25.49%
बाराबंकी 49.53%
अमेठी 64.0%
सुलतानपुर 49.47%
फैजाबाद 88.48%
अंबेडकरनगर 77.73%
आजमगढ़ 28.0%
मऊ 60.57%
गाजीपुर 22.04%