पिता से डांट खाकर घर से निकला बेटा 14 साल बाद लौटा वापस,गांव से गया था फटेहाल,घर आया लग्जरी कार से ट्रकों का मालिक बनकर

पिता से डांट खाकर घर से निकला बेटा 14 साल बाद लौटा वापस
घर से निकला रिंकू 26 साल का सरदार नौजवान बनकर घर पहुंचा युवक
गांव से गया था फटेहाल,घर आया लग्जरी कार से ट्रकों का मालिक बनकर
होली के पहले घर वापस लौट कर पूरे परिवार को खुशियों के रंग से किया सराबोर
सांडी थाना इलाके के सैतियापुर गांव के मजरा फिरोजापुर का मामला

भगवान राम ने 14 वर्ष का वनवास काटा और वनवास काटकर जब वह अयोध्या पहुंचे तो पूरी अयोध्या में दीपोत्सव मनाया गया।  कुछ इसी तरह की कहानी हरदोई के रिंकू उर्फ़ गुरप्रीत सिंह की है जो 12 साल की उम्र में पढ़ाई के डर से घर से वर्ष 2007 ने चुपचाप निकल गया था और तब से 14 साल बाद होली के पहले अपने घर वापस लौट कर पूरे परिवार को खुशियों के रंग से सराबोर कर दिया है।  परिवार के लोग 14 साल पहले अपने खोए हुए बेटे को अपने कुल के दीपक को पाकर खुशियों के रंग में रंगे हुए हैं।पूरे परिवार में खुशियों का माहौल है क्योंकि 12 साल पहले गुम हुआ बालक 26 साल का सरदार नौजवान बनकर वापस लौटा है। यही नहीं इस दौरान वह सरदार होने के साथ-साथ आर्थिक रूप से भी इतना मजबूत हो गया है जिसकी कल्पना उसके गरीब परिवार के माता-पिता ने कभी सपने में भी नहीं सोची थी।

हरदोई के सांडी थाना इलाके के सैतियापुर गांव के मजरा फिरोजापुर में जवान बेटे और उसकी मां को देखकर शायद आपको सब कुछ सामान्य लग रहा हो लेकिन यह कहानी बिल्कुल बॉलीवुड की कहानियों की तरह ही है। दरअसल तस्वीरों में सरदारों की तरह पगड़ी बांधे जिस युवक को आप देख रहे हैं इसका असली नाम रिंकू है जो इसी गांव के रहने वाले सरजू और सीता के चौथे नंबर का पुत्र था।  आज से लगभग 14 वर्ष पूर्व 2007 में रिंकू को उसके पिता ने पढ़ाई को लेकर डांट दिया था।  जिसके बाद रिंकू अंदर नए कपड़े और बाहर पुराने कपड़े पहन कर चुपचाप घर से लापता हो गया।  बेटे के लापता होने के बाद पिता ने उसकी तलाश भी की लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर माता-पिता अपने बेटे के ना मिलने पर उसके साथ कुछ अनहोनी होने की नियति मानकर शांत बैठ गए।  लेकिन अचानक होली से कुछ पहले अचानक परिवार में खुशियों का रंग तब भर जाता है जब रात रिंकू 14 साल बाद उनके सामने आकर खड़ा हो जाता है। दरअसल 12 साल की उम्र में घर से निकलने के बाद रिंकू किसी ट्रेन में बैठकर लुधियाना पहुंच गया था जहां उसे एक सरदार ने शरण दी और अपनी ट्रांसपोर्ट कंपनी में उसे काम भी दे दिया उसी ट्रांसपोर्ट कंपनी में काम करते करते रिंकू ने ट्रक चलाना सीखा और ट्रक चलाते चलाते वह खुद ट्रक का मालिक बन गया और फिर अचानक 14 साल बाद अपने परिवार के सामने आकर खड़ा हो गया।

अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखने वाले सरजू और सीता के छह पुत्रों और एक पुत्री में चौथे नंबर का रिंकू 14 साल पहले जब ट्रेन में बैठकर लुधियाना पहुंचा तो वहां भारत नगर चौक पर टीएस ट्रांसपोर्ट में काम करने लगा। वहीं पर काम करते करते उसने ट्रक ड्राइवरी सीखी और अपनी लगन और मेहनत के जरिए अपना ट्रक और लग्जरी कार भी खरीदी।यही नहीं पंजाब में रहने के दौरान उसकी पहचान भी बदल गई और वह रिंकू से गुरप्रीत सिंह हो गया और सरदारों की तरह रहन-सहन और पगड़ी भी पहनने लगा।  यही उसने गोरखपुर के एक परिवार जो लुधियाना में ही रहता था उसकी बेटी से प्रेम विवाह भी कर लिया।  रिंकू उर्फ़ गुरप्रीत के हरदोई आने की कहानी भी अपने आप में दिलचस्प है।दरअसल रिंकू उर्फ़ गुरप्रीत का अपना एक ट्रक धनबाद में एक्सीडेंट हो गया था जिसको छुड़ाने के लिए रिंकू उर्फ़ गुरुप्रीत अपनी लग्जरी कार से धनबाद जा रहा था।रास्ते में जब वह हरदोई पहुंचा तो उसे अपने गांव और परिवार की सुध भी हो आई और वह सीधा ना जाकर पता लगा कर गांव के पास पहुंच गया जहां उसे अपने पिता का नाम तो नहीं ध्यान था लेकिन गांव के एक बुजुर्ग व्यक्ति सूरत यादव का नाम ध्यान था। उसने लोगों से सूरत यादव के घर पहुंचाने की बात की। लोगों ने उसे उनके पास पहुंचा दिया। सूरत यादव से बात करने पर अचानक ही उन्होंने उसको रिंकू के रूप में पहचान लिया और फिर रिंकू उर्फ़ गुरप्रीत अपने पिता और मां के परिवार में 14 साल बाद पहुंच गया। 14 साल के बाद अपने मां पिता और परिवार के लोगों से मिलने के बाद रिंकू गुरप्रीत बहुत प्रसन्न है और अब वह अपने माता पिता के साथ ही रहने की उम्मीद संजोए हुए हैं।

मासूम सी उम्र में अपने खोए हुए बेटे को 26 साल के जवान के रूप में पाकर उसकी मां की खुशियों का ठिकाना नहीं है।  अनुसूचित जाति में से ताल्लुक रखने वाली रिंकू उर्फ़  गुरप्रीत की मां अपने इस 14 साल से लापता चौथे नंबर के बेटे से मिलने की उम्मीद ही खो चुकी थी लेकिन अब 14 साल के बाद बेटे से मिलने की खुशी मां के चेहरे पर साफ पढ़ी जा सकती है।  फिलहाल रिंकू उर्फ़ गुरप्रीत की मां अपने बेटे को अपने कलेजे से लगाए हुए उससे यही गुजारिश कर रही है कि वह अपना काम धंधा भी करें लेकिन अब जैसे वह पहले छोड़ कर गया ऐसा कोई काम ना करें।  रिंकू उर्फ़ गुरप्रीत के परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है उसके बाकी भाई बाहर रहकर मजदूरी वगैरा करते हैं लेकिन अब रिंकू के मिलने के बाद उसका पूरा परिवार खुशियों से सराबोर है।

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