पिछले साल सैकड़ों बच्चों की पढाई नयी किताबों के आभाव में सही से हो नहीं पायी क्योंकि उन तक किताबें पहुंची ही नहीं. और इस साल भी 22 लाख किताबों में से केवल 2 लाख किताबे ही जिले में बटी हैं. शिक्षा विभाग में इतने बड़े हेर फेर का मामल तब सामने आया जब एसडीएम सदर ने शिक्षा विभाग के गोदाम में छापेमारी की थी. वहां उन्होंने पाया की करीब 20 हज़ार किताबें सड रही हैं और उनको कोई पूछने वाला नहीं है.
स्टाक रजिस्टर लेकर फरार शिक्षक निलंबित:
स्टाक रजिस्टर लेकर फरार होने वाले सभी शिक्षकों पर गिरी गाज. बेसिक शिक्षा अधिकारी ने आरोपी शिक्षकों को किया निलम्बित. वैसे तो बीएसए देवेन्द्र पांडेय मामले की लीपापोती में जुटे थे लेकिन एसडीएम के कड़े रूख के बाद बीएसए ने कार्रवाई शुरू की.
बुधवार को बीएसए एसडीएम को ही शासनादेश का पाठ पढ़ा रहे थे. लेकिन छापेमारी के बाद बीएसए के बोल ही बदल गये.
बीएसए देवेन्द्र पांडेय ने सफाई में कहा की, “पिछले साल की लगभग 17 हजार आठ सौ पुस्तकें बच्चों में वितरण होने से बच गईं थी. इसमें से बेसिक शिक्षा विभाग के गोदाम में पांच हजार रखी गई हैं. जबकि शेष पुस्तकें ब्लाकों पर रखी गई हैं और इस बार कमी पड़ने पर पिछले सत्र की पुरानी पुस्तकों का समायोजन किया जाना है.”
सर्वशिक्षा को अभियान को पलीता लगाने में जुटे अफसर:
छापेमारी के बाद बरामद हुई थी पांच हजार पुरानी किताबे. गोदामों में सड़ रही थीं पुस्तके और अधिकारी सरकार पर ठीकरा फोड़ रहे थे.
एसडीएम की छापेमारी में शिक्षा विभाग की पोल खुली.
जिले से लेकर ब्लाको में डंप है करीब 20 हजार पुरानी पुस्तके. नये सत्र में भी अधिकारियों ने स्कूलो में नही भेजी पुस्तके. चार माह बीत जाने के बाद भी नौनिहालो को नही मिली पुस्तके.
खुलासे के बाद अब ममाले को दबाने में जुटे अधिकारी.