2019 के लोकसभा चुनावों के लिए समाजवादी पार्टी ने तैयारी शुरू कर दी है। इस बार के चुनावों में सपा और बसपा का गठबंधन होने से भाजपा में खलबली मची हुई है। अखिलेश यादव ने लोकसभा चुनावों को देखते हुए पुराने समाजवादियों को एकजुट करने का प्लान बना लिया है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने लखनऊ में पार्टी कार्यालय पर महाराणा प्रताप की जयंती मनाते हुए ठाकुर वोटों को साथ लाने की कोशिश की है। अखिलेश की इस कोशिश पर कुंडा के बाहुबली विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ़ राजा भैया ने ट्वीट किया था जिसके कई सियासे मायने निकाले जाने लगे थे लेकिन अब मीडिया से बात करते हुए राजा भैया ने खुद इस पर सफाई दी है।
राजा भैया ने किया ट्वीट :
समाजवादी पार्टी के महाराणा प्रताप की जयंती मनाने पर नया विवाद होता हुआ दिख रहा है। राजा भैया ने ट्वीट करते हुए सपा के इस आयोजन पर करार हमला बोला है। उन्होंने ट्वीट में लिखा कि महाराणा को मात्र क्षत्रियों का नेता मानना उनका अपमान है। महाराणा प्रताप तो माँ भारती के सच्चे सपूत थे। वे विदेशी आक्रमणकारियों के खिलाफ जमकर लड़े थे। सपा के क्षत्रिय नेताओं द्वारा इस आयोजन के करने पर बाहुबली विधायक राजा भैया ने जमकर हमला बोला है। गौरतलब है कि राज्य सभा चुनावों के बाद से ही समाजवादी पार्टी और राजा भैया की राहें अलग हो चुकी हैं। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और राजा भैया के बीच भी पहले जैसे दोस्ती न होने की खबरें सियासी गलियारों में चल रही है।
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अखिलेश यादव के साथ होने पर बोले :
कुंडा के बाहुबली विधायक राजा भैया ने ट्वीट कर सपा द्वारा महाराणा प्रताप को क्षत्रियों का नेता बताने पर सवाल किया था। राजा भैया के इस ट्वीट पर काफी हल्ला हुआ था। इसके बाद राजा भैया खुद मीडिया के सामने आये और अपने ट्वीट के सही मायने बताते हुए अखिलेश यादव से अपनी दोस्ती पर बात की। उन्होंने कहा कि सपा के कार्यक्रम पर हमें कभी कोई सवाल नहीं उठाया। महापुरुषों पर कभी किसी तरह का सवाल नहीं उठाना चाहिए। अखिलेश यादव से संबंधों पर उन्होंने कहा कि हम पहले भी निर्दलीय थे और आगे भी रहेंगे। जिसे हमारी जरूरत होगी तो उसके बारे में बाद में देखा जाएगा। उन्होंने कहा कि राजनीतिक रूप से हम किसके साथ है, इसका फैसला समय करेगा। सीएम योगी से करीबियों पर उन्होंने कहा कि लोगों के कहने पर आप विश्वास न करें।