उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में उत्तरायणी कौथिग मेला 2019 भव्य शोभा यात्रा के साथ सोमवार को शुरू हो गया। मेला से पहले भव्य शोभा यात्रा रामलीला पार्क महानगर से निकाली गई। शोभा यात्रा से पहले यहां बद्रीनाथ के महंत राकेश नाथ जी ने विधि विधान से पूजा पाठ किया। पर्वतीय महापरिषद के अध्यक्ष भगवान सिंह रावत ने कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इस वर्ष पर्वतीय महापरिषद लखनऊ के द्वारा 11वां पौराणिक ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक पर्व नौ दिवसीय उत्तरायणी कौथिग (14 से 22 जनवरी) को आयोजित किया जा रहा है।
यह आयोजन भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत पर्वतीय सांस्कृतिक भवन गोमती तट निकट खाटू श्याम मंदिर में आयोजित हो रहा है। महानगर रामलीला मैदान में 14 जनवरी को सुबह 11:00 बजे पूरे गाजे-बाजे, ‘नंदा राजजात की झांकी’ आर्मी के बैंड, उत्तराखंड के आए छोलिया दल, लखनऊ से बाहर के विभिन्न क्षेत्रों के दलों के साथ विशाल शोभायात्रा महानगर, गोल मार्केट, बादशाहनगर, निशातगंज, ओवरब्रिज होते हुए बीरबल साहनी मार्ग, खाटू श्याम मंदिर होते हुए दोपहर 2:00 बजे कार्यक्रम स्थल पर पहुंची।
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने किया उत्तरायणी कौथिग मेला का उद्घाटन[/penci_blockquote]
परिषद के महासचिव गणेश चंद्र जोशी ने बताया कि पहले दिन शाम 7:00 बजे गृहमंत्री राजनाथ सिंह उत्तरायणी कौथिग मेला का उद्घाटन किया। कौथिग में इस बार उत्तर प्रदेश उत्तराखंड के मुख्यमंत्री, भारत सरकार के गृह मंत्री, भूतपूर्व मुख्यमंत्री, केंद्र सरकार के कई मंत्री, उत्तर प्रदेश राज्य सरकार के कई कैबिनेट मंत्री व व्यवसाय सहित कई गणमान्य लोग कार्यक्रम की शोभा बढ़ाएंगे।
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]डॉ. जीवन सिंह को दिया जाएगा, पर्वत गौरव सम्मान[/penci_blockquote]
इस वर्ष का पर्वत गौरव सम्मान नेत्र चिकित्सक धारचूला पिथौरागढ़ के निवासी डॉ. जीवन सिंह को दिया जाएगा। मुख्य संयोजक दिलीप सिंह ने कहा कि उत्तरायणी कौथिग में पर्वतीय महापरिषद द्वारा कई विभिन्न गणमान्य व्यक्तियों को उनके द्वारा अपने-अपने क्षेत्रों में किए गए कार्यों के लिए, विभिन्न तिथियों पर्वत गौरव वीर चंद्र सिंह गढ़वाली और भी कई सम्मान से नवाजा जाएगा।
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]2008 में रखी गई थी उत्तरायणी कौथिग मेला की नींव [/penci_blockquote]
पर्वतीय महापरिषद के अध्यक्ष भगवान सिंह रावत ने बताया कि भगवान शंकर की भूमि बागेश्वर में सरयू और गोमती का भौतिक और सरस्वती का लुप्त मानस मिलन है। यह स्थल उतरैणी कौथिग की गौरवमय भूमि है। जनश्रुतियों के मुताबिक चंद वंशीय राजाओं के शासनकाल में वहां माघ मेले की नींव पड़ी थी। उन्होंने बताया कि उसी परंपरा का अनुसरण करते हुए 2008 से लखनऊ में उत्तरायणी मेला की नींव रखी गई। इसके बाद से ये कार्यक्रम लगातार होता आ रहा है। मेले में मटकी फोड़, रस्सा-कसी, मेहंदी, बच्चों की चित्रकला की प्रतियोगिताएं भी होंगी। मेले के दौरान समाज के मेघावी छात्रों एवं बुजुर्ग दम्पत्तियों को सम्मानित भी किया जाएगा। मेले में कपड़ा मंत्रालय की ओर से भी स्टॉल्स लगाए गए हैं।
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]मेले में देखने को मिलेगी उत्तराखंड की संस्कृति और लोक कलाओं की छाप[/penci_blockquote]
उन्होंने बताया कि नौ दिन चलने वाले इस मेले में उत्तराखंड की संस्कृति और लोक कलाओं को देखने को मिलेगा। उत्तरायणी कौथिग 2019 का आयोजन सोमवार से शुरू हो गया। इस महोत्सव का आयोजन लखनऊ के गोमति तट पर भारत रत्न पंडित गोविन्द भल्ल्भ पंथ पर्वतीय सांस्कृतिक उपवन पर किया गया है। मेले का विशेष आकर्षण कौथिग स्थल थीम है। इस बार भी उत्तराखंड के हर जिले की बाजार मेले की शोभा बढ़ा रही है। नौ दिनों तक चलने वाले इस मेले में उत्तराखंड की पारम्परिक लोक कला, नृत्य, संगीत की कई विधाएं देखने को मिलेंगी। मेले में क्षेत्रीय कलाकार एवं सांस्कृतिक दल भी भाग ले रहे हैं। मेले में तमाम आयोजन किये गए हैं। आयोजकों का कहना है कि वह मांग करते हैं कि उत्तर प्रदेश सरकार भी इस आयोजन को बढ़ावा दे।
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