[nextpage title=”मेडिकल कॉलेज ” ]
उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था भी अब राम भरोसे ही चल रही है ऐसा हम इसलिये कह रहे हैं क्योंकि उत्तर प्रदेश में प्राइवेट अस्पताल सिर्फ पैसा कमाने का जरिया बनते जा रहे हैं इन्हें किसी की जान की कोई परवाह नहीं। अब ये प्राइवेट अस्पताल घायलों को भर्ती करने से भी मना कर रहे हैं।
क्या है पूरा मामला ? जाने अगले पेज पर :
[/nextpage]
[nextpage title=”मेडिकल कॉलेज ” ]
- मुख्य चिकित्सा अधिकारी के कड़े निर्देशों के बाद भी ये सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं।
- और इन प्राइवेट अस्पतालों की ऐसी हरकतों पर जिला प्रशासन भी चुप्पी साधे बैठा है।
- ताजा मामला राजधानी लखनऊ का है।
- जहाँ बीती रात हैनीमैन चौराहे पर एक युवक का एक्सीडेंट हो गया।
- इस युवक का नाम रजनीश है।
- रजनीश को गंभीर हालत में पास के सहारा हॉस्पिटल ले जाया गया।
- जब सहारा हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने देखा कि युवक की हालत गंभीर है तो उसे प्राथमिक उपचार देने की जगह वहाँ से भगाने लगे।
- अस्पताल में मौजूद डॉक्टर ने उन्हें राम मनोहर लोहिया अस्पताल जाने की सलाह देने लगे।
https://youtu.be/N2qLmF0sllY
- काफी मान मनाव्वत करने के बावजूद भी सहारा हॉस्पिटल ने उस युवक को भर्ती नहीं किया।
- युवक के परिजन उसे राम मनोहर लोहिया हॉस्पिटल लेकर पहुँचे।
- वहाँ भी उसे एडमिट नहीं किया गया और उसे KGMU रिफर कर दिया गया।
KGMU की बिगड़ी और भयावह उपचार व्यवस्था :
- KGMU के ट्रामा सेंटर पहुँचने पर यहाँ का माहौल और भी ज्यादा डरावना था।
- यहाँ पर उस गंभीर स्थित में पहुँचे युवक के लिये 3 पहियों वाला स्ट्रेचर मिला।
- जिससे उसे किसी तरह हॉस्पिटल के अन्दर पहुँचाया गया।
- मगर यहाँ पर इलाज डॉक्टर नहीं करते बल्कि गेट पर खड़े सुरक्षा कर्मी करते हैं।
- जो आपको इस फोटो के जरिये साफ़ पता चल रहा होगा।
- यहाँ पहुँचने पर जब डॉक्टरों से उपचार करने के लिये कहा गया।
- तो उन्होंने उपचार के लिये दवा नहीं है कहकर पल्ला झाड़ लिया।
- और मरीज के परिजनों से कहा अगर इलाज कराना है तो दवा बाहर से लेकर आओ।
- ऐसी बिगड़ी स्वास्थ्य व्यवस्था को देखते हुये मरीज के परिजन अपने मरीज को लेकर मेयो हॉस्पिटल लेकर आये।
- जहाँ पर उसे एडमिट करके उसका उपचार शुरू किया जा सका।
स्वास्थ्य विभाग की ऐसी लचर व्यवस्था को देखकर आप भी ये कहने पर मजबूर हो जायेंगे कि उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था अब राम भरोसे ही बची है। एक बड़ा सवाल यह भी उठता है कि क्या इस तरह की मनमानी करने वाले प्राइवेट अस्पतालों पर प्रशासन की तरफ से कोई करवाई होगी ? या फिर ऐसे ही ये पैसा कमाने की होड़ में लोगों की जान के साथ खिलवाड़ करते रहेंगे।
[/nextpage]