16 राज्यों की खाली हो रही 58 राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव आज होने है। इस राज्यसभा चुनाव के साथ सियासत एक बार फिर से गरमा गई है। इसका सबसे ज्यादा असर उत्तर प्रदेश में देखने को मिल रहा है। उत्तर प्रदेश की 10 सीटों पर होने वाले मतदान में भाजपा के एक और प्रत्याशी को खड़ा करने के बाद बसपा को अपनी एक राज्यसभा सीट बचाने में मुश्किल हो सकती है। गोरखपुर लोकसभा उपचुनाव में बसपा के समर्थन के बाद अखिलेश यादव भी राज्यसभा चुनाव में बसपा के समर्थन में है।
एक सीट जीतने के लिए 37 वोटों की जरुरत है। भाजपा के पास 311 विधायक है। जिनमें से मतदान के बाद 28 विधायक बच रहे हैं। वहीं बसपा के पास 19 विधायक है। कांग्रेस के पास 7 विधायक हैं। सपा के 47 विधायक है, जिनमें से अपनी प्रत्याशी जया बच्चन को मत देने के बाद 10 विधायक बच रहे हैं। सपा को राजा भैया और उनके एक समर्थक का भी साथ मिल रहा है। कांग्रेस, सपा और रालोद ने बसपा के प्रत्याशी भीमराव अम्बेडकर का समर्थन देने का ऐलान किया है। अन्य सहयोगी पार्टी के विधायकों के मत के साथ बसपा आसानी से अपनी एक राज्यसभा सीट जीत सकती हैं। भाजपा भी अपने प्रत्याशी को जिताने के लिए पुरजोर कोशिश कर रही है। उन्होनें उत्तर प्रदेश की दसवीं सीट के लिए गाजियाबाद के व्यवसायी को नामांकित किया है। इसके लिए वह क्रॉस वोटिंग भी करवा सकती है।
सपा के राष्ट्रीय महासचिव नरेश अग्रवाल के भाजपा में शामिल होने के बाद उनके पुत्र और हरदोई से विधायक नितिन अग्रवाल भी भाजपा के प्रत्याशी के समर्थन में ही मत देंगे। इसके अलावा सुहेलदेव भारतीय जनता दल के 4 विधायकों को भी अपने समर्थन में करने के लिए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने दिल्ली में उनसे मुलाकात की। जिसके बाद सुहेलदेव भारतीय जनता दल ने भी भाजपा का समर्थन करने का ऐलान कर दिया है। अनुप्रिया पाठक ने भी अपने विधायकों के साथ भाजपा का समर्थन में मतदान करने की बात कही है। इन आंकड़ो के आधार पर सभी पार्टियां अपने अपने विधायकों को समझाने और क्रॉस वोटिंग से बचाने के प्रयास में मीटिंग कर रही है। बहरहाल ये तो आज चुनाव के बाद साफ हो जायेगा कि उत्तर प्रदेश की 10वीं सीट पर कौन काबिज़ होता है और किसके गणितिय आंकड़े सही बैठते हैं।
झारखंड, छत्तीसगढं, मध्य प्रदेश और अन्य कई प्रदेशों में भी ऐसे ही उत्तर प्रदेश के जैसे हालात है। भाजपा में कई प्रत्याशियों की सीट सुनिश्चित हैँ। मोदी जी के 6 मंत्रियों की राज्यसभा सीट पहले से तय है। इस समय चुनावी असमंजस्य में सपा है। अखिलेश यादव पर मायावती के प्रत्याशी को जिताने का दबाव है। साथ ही अपनी प्रत्याशी जया बच्चन की भी सीट सुनिश्चित करनी हैं। इससे पहले हुई सपा की मीटिंग में 7 विधायकों के गैरमौजूद रहने की बात से यह भी साफ हो गया कि भाजपा शायद उन विधायकों को अपने समर्थन में करने का प्रयास कर सकती है। अखिलेश यादव को चाचा शिवपाल सिंह के समर्थन की जरुरत भी पड़ेगी। फिलहाल इन 16 राज्यों के राज्यसभा चुनाव से भी 2019 से लोकसभा चुनाव की रूपरेखा तैयार हो जायेगी।