राष्ट्रपति चुनाव के रुझान आने शुरू हो चुके हैं. जिसे देखकर साफ़ लगता है की राम नाथ कोविंद का अब देश का राष्ट्रपति बनना तय है. ऐसे में कानपुर के लोगों को शायद इस बात का अंदाजा भी नही होगा कि उन्हीं के शहर में किराये का मकान लेकर रहने वाले राम नाथ कोविंद अब देश के राष्ट्रपति बनने वाले हैं.
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ऐसी घटना हुई थी जिससे कोविंद मुझे आज भी याद है-
- राम नाथ कोविंद ने वकालत की पढ़ाई कानपुर के दयानन्द विधि विश्वविद्यालय से की थी
- बता दें कि साल 1967 के करीब उन्होंने कानपुर के दयानन्द विधि विश्वविद्यालय में दाखिला लिया था.
- उस समय उनके गुरु रहे प्रोफेसर सुमन निगम उन्हें IPC और CRPC की धराये पढ़ते थे.
- प्रोफेसर सुमन निगम के अनुसार वैसे तो हर साल तीन – चार सौ बच्चे आते थे और निकल जाते थे लेकिन एक ऐसी घटना हुई थी जिससे वो मुझे आज भी याद है.
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- प्रोफेसर ने बताया की जब उन्होंने दाखिला लिया तो इनका नाम मैंने गलती से राम नाथ कोविंद की जगह गोविन्द लिख दिया था.
- इसके बाद दो तीन दिन पुकार ( अटेंडेंस ) हो गयी.
- जब इस गलती का मुझे अहसास हुआ तो मैंने उसमे सुधर किया.
- यही बात मेरे दिमाग में बस गई.
साल 1993 के करीब कानपुर आये थे राम नाथ कोविंद-
- देश के होने वाले राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद साल 1993 के करीब कानपुर आये थे.
- जहाँ वह कल्याणपुर इलाके के न्यू आजाद नगर में दो कमरे किराए पर लेकर रहने लगे थे.
- बता दें कि राम नाथ कोविंद ने उस समय डॉ आदित्य नारायण दीक्षित के घर में किराए पर कमरा लिया था.
- डॉ आदित्य नारायण दीक्षित उस समय कानपुर के क्राइसचर्च कालेज में फिजिक्स के प्रोफ़ेसर थे.
- डा दीक्षित फिलहाल काफी बुजुर्ग हो गए है.
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- जिसके चलते उनकी याददास्त भी कमजोर हो गयी है.
- उनकी पत्नी आनंद कुमारी ने बताया कि राम नाथ कोविंद जब यंहा रहते थे तो 30 रूपया महीना किराये के रूप में देते थे.
- आनंद कुमारी का कहना है की कोविंद जी का स्वभाव बहुत अच्छा था.
- वो जितने दिन रहे बड़े प्रेम से रहे.
इंद्रानगर के दयानन्द विहार में बनवाया खुद का मकान-
- कल्याणपुर में रहने के बाद राम नाथ कोविंद इंद्रानगर के दयानन्द विहार में चले गए.
- जहाँ उन्होंने अपना खुद का मकान बनवा लिया.
- लेकिन उस समय भी वो ज्यादातर दिल्ली में रहते थे.
- जिसक चलते वो कभी-कभी ही कानपुर आते थे.
- जिसके चलते आस पड़ोस के लोग उनके बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानते है.
- लेकिन वो इतना जरूर कहते है की वो बहुत अच्छे स्वाभाव के थे.
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- लोगों का कहना है कि वो जब भी आते थे तो सबसे बहुत विनम्रता से बात करते थे.
- उनके पडोसी शिव शंकर लाल सचान का कहना है की उनका स्वभाव बहुत अच्छा है साथ ही उनकी बोली बहुत मधुर है.
- शिव शंकर लाल सचान ने कहा कि हम तो उन्हें बहुत सारी शुभकामनाये देते है.
- उन्होंने ने ये भी कहा की अब इस देश का इस प्रदेश का इस जिले का इस मौहल्ले का तो विकास होगा ही.
- हम लोग बहुत गर्व महसूस कर रहे है.
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