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रेप-हत्या के केस में 60 दिन के बजाय एक साल में लग रही फाइनल रिपोर्ट

राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष प्रो. राम शंकर कठेरिया और उपाध्यक्ष एल मुरूगन ने लखनऊ में अपने सरकारी आवास में एक प्रेसवार्ता का आयोजन किया। इस दौरान उन्होंने से पत्रकारों से बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और पुलिस अधिकारियों के साथ हुई बैठक के कुछ बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा की। बातचीत के दौरान अनुसूचित जाति के लोगों के लिए अब तक सरकार द्वारा किये गए कार्यों के बारे में भी बताया गया।

प्रो. राम शंकर कठेरिया ने बताया कि वह विकास के संबंध में सरकार से कर चुके हैं। इसके साथ ही मुख्यसचिव को प्रस्ताव भेजा गया है। उन्होंने बताया कि प्रदेश के कई विभाग ऐसे हैं जिनमें बजट खर्च नहीं हुआ है। कठेरिया ने बताया कि अनुसूचित जाति के लिए आया 4732 करोड़ रुपये का बजट अभी भी खर्च नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि अगर ये बजट मिला होता तो अनुसूचित को फायेदा मिल सकता था। उन्होंने कहा कि बिजली विभाग में 337 करोड़ रुपये नहीं खर्च हुए हैं।

उन्होंने कहा कि हत्या और बलात्कार के मामले में 60 दिन में रिपोर्ट लगनी चाहिए जो एक साल तक नहीं लग पाती। ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने को भी कहा गया है। उन्होंने कहा कि ये मामला मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाया गया है।अब यूपी में अनसूचित जाति को न्याय मिलेगा। उन्होंने कहा कि एसएसटी की धाराओं पर भी मुकदमा दर्ज होगा। पोस्को एक्ट में आर्थिक मदद मिलेगी। कमीशन में चेयरमैन के लिए कोई जरूरी नहीं है कि सवर्ण बने या अनुसूचित जाति का बने।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद कंपल्सेशन नहीं मिल पाता है। उन्होंने बताया कि पिछली सरकार के कार्यकाल की छात्रवृत्ति अभी छात्रों को नहीं मिल पाई है। जबकि इस वर्ष की अब तक की करीब 1500 करोड़ की बकाया धनराशि केंद्र द्वारा भुगतान किया जायेगा।

उन्होंने कहा कि सीवर में काम करने वालों को 10 लाख रुपये का मुआवजा देने का सुप्रीम कोर्ट से निर्देश है। निर्देश ये भी है कि सीवर में काम करने वालों के परिवार को घर भी दिया जाये साथ ही मृतक के बच्चे को ग्रेजुएशन तक शिक्षा मुफ्त में दी जाये। लेकिन पिछली सरकारों ने सारा पैसा हजम कर दिया। उन्होंने कहा कि इसकी भी लिस्ट मांगी गई है और जल्द ही पीड़ितों को मदद की जायेगी।

उन्होंने बताया कि इस सरकार में रूरल डब्लपमेंट के लिए 1166 करोड़ का खर्च किया गया है। 4732 करोड़ रुपये खर्च के लिए केंद्र से जारी किये गए। विभागों को खर्च के बजट के प्रारूप के लिए पत्र जारी करने के लिए कहा गया है। साथ ही ये भी मांगा गया है कि उस विभाग में कितना बजट चाहिए जिससे विकास कार्य हो। उन्होंने कहा कि कुछ ऐसे गांव हैं जहां बिजली के तार तक नहीं हैं, कई कठिनाइयां हैं जिन्हें भी दूर किया जायेगा।

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