उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ को नवाबों का शहर ऐसे ही नहीं कहा जाता है, हमारे शहर की कई ऐसी चीजें हैं जो पूरे देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में मशहूर हैं। लखनऊ की चिकेन पूरी दुनिया में मशहूर है, वहीं रमजान के दौरान बनाई जाने वाली सेवई भी पूरे देश में यहीं से बनकर जाती है। ये सुनकर आप थोड़ा भौचक्के जरूर होंगे लेकिन ये बात सच है। पेश है एक रिपोर्ट…
ईद का त्यौहार हो और सेवई की बात न हो ऐसा हो नहीं सकता। ईद में सेवई की स्पेशल मांग रहती है। ऐसे में सेवई के बाजार में भी लोगों की चहलकदमी बढ़ने लगी है। बाजार में भी कई किस्मों की सेवई मौजूद हैं। इसमें जाफरानी सेवई से लेकर बनारसी, मुजाफर, किमामी समेत कई तरह की सेवई उपलब्ध हैं। ईद के मौके पर लोग अपनी शादीशुदा बेटियों के घर त्योहारी भिजवाते हैं। इस त्योहारी में ईद का पूरा सामान जैसे सेवई, काजू, किशमिश, नारियल कपड़े आदि शमिल होता है। इसलिए भी सेवई की खरीदारी जोर-शोर से शुरू हो गई है।
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प्रतिदिन 10 कुंतल सेवई तैयार करते हैं कारीगर
जानकारी के मुताबिक, पूरे देश में बिकने वाली सेवई लखनऊ के चौक इलाके के चौपटिया में बनती है। थोक के भाव सेवई बनाने वाले फारुख ने बताया कि उनका कारखाना कूड़ाघर उत्तम नगर राधे का खेत दरगाह के पास स्थित है। उनके तीन कारखाने हैं। इन कारखानों में सुबह 4:00 बजे से रात 9:00 बजे तक 32 श्रमिक एक टन (10 कुंतल) सेवई बनाकर तैयार करते हैं। यहां पर कई तरह की सेवई (बनारसी, मुजाफर, किमामी) बनाई जाती हैं जो देश के पश्चिम बंगाल के कलकत्ता (कोलकाता), दिल्ली, जम्मू, चेन्नई, मुंबई, महाराष्ट्र, सहित यूपी के सभी जिलों में थोक के भाव 3000 रुपये कुंतल के हिसाब से जाती है।
किमामी सेवई सबसे ज्यादा डिमांड
फारुख के मुताबिक, रमजान में सबसे ज्यादा किमामी सेवई की डिमांड होती है। ज्यादातर घरों में किमामी सेवई ही बनती है। उन्होंने बताया कि लखनऊ में बनने वाली सेवई में सबसे महीन जीरो नंबर सेवई होती है। इसके अलावा एक नंबर और दो नंबर भी आती हैं, जो दूध वाली सेवईं के लिए ज्यादा बिकती हैं। किमामी सेवई के लिए जीरो नंबर की सेवई लोग ज्यादा पसंद करते है। इसके अलावा जाफरानी भी लोगों को पसंद आ रही है। यह सबसे बारीक होती है, जो पकने के बाद मोटी नहीं होती है और किमाम में पूरी तरह घुल जाती है। बाजार में सफेद, भूरा, हरा, गुलाबी, बादामी रंग सहित कई रंगों में फेनी व सेवई उपलब्ध है, जो बाजार की सुंदरता में चार-चांद लगा रहे हैं। रंगों के वजह से भी कई लोग सेवर्इं की खरीदारी कर रहे हैं।
दुकानों पर लगी सेवई खरीदने की होड़
शहर में रमजान का महीना आते ही सेवइयों की खरीदी के लिए लोग पहुंच रहे हैं। दुकान में सजी अलग-अलग स्वाद वाली रंग-बिरंगी सेवइयां लोगों का ध्यान आकर्षित कर रही हैं। मुस्लिम समाज के अलावा सेवइयां खाने के शौकीन हिंदू समाज के लोग भी सेवइयों की खरीदी कर रहे हैं। घी के साथ ही सादे सेवईं की भी डिमांड है। साधारण सेवइयां जहां 50 से 80 रुपए किलो बेची जा रही है, वहीं दूध फैनी सेवइयों की कीमत 80 से 120 रुपए किलो है। लखनवी फैनी 120 से 160 रुपए, पंचमेवा किराना 200 रुपए, कानपुरी सेवइयां 80 से 160 रुपए किलो है। ज्यादातर लोग भूंजी सेवई को बहुत पंसद कर रहे हैं।