- उत्तर प्रदेश के जनपद वाराणसी के रामनगर में आज से रामलीला की शुरुवात हो गयी है, जो एक माह तक चलेगा। बतादे की यह राम लीला करीब 183 साल से हर वर्ष अंनत चतुर्दशी से प्रारंभ होती है।
- जो एक माह तक चलती है। इस रामलीला की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इस लीला में बिना बिजली व इलेक्ट्रॉनिक यह लीला शुरू होती है।
- रामनगर के इस रामलीला में रोशनी के लिए यहाँ अब तक पेट्रोमैक्स का प्रयोग किया जाता है। यहां आज भी रामलीला में संवाद अदायगी कथानक और दोहों के आढ़त पर होती है।
- वही यहां की रामलीला यूनेस्को की हेरिटेज सूची में शामिल भी है।
- इस ऐतिहासिक रामलीला में खास यह है कि काशी राज का परिवार के सदस्य प्रतिनिधि कुँवर अंनतनारायण सिंह शाही बग्घी पर सवार होकर लीला देखने लीला स्थल पर जाते है।
- लीला के स्वरूप में देव स्वरूप की झलक पाने के लिए साधु-संतों की टोलियां अपने पारंपरिक स्थान पर दिखीं। रामनगर में राम नाम के जयघोष के बीच आरंभ हुई।
- रामलीला के चलते एक माह तक होगा रामनगर में उत्सव का माहौल। कुछ ऐसा ही दृश्य रहा आज झांझ-मंजीरा, चौपाइयों की तान, ज्ञान लीलाप्रेमियों में अलग तरह का उत्साह भरते रहे।
- रामलीला के स्थलों की दूरी महज 2 वर्ग किलोमीटर ही है परन्तु सभी लीलास्थल अपने वास्तविक नाम से अब भी जाने जाते हैं।
एक माह तक चलती है रामनगर की ऐतिहासिक रामलीला
हर वर्ष अनंत चतुर्दशी के दिन आरंभ होती है। इस वर्ष रामलीला 23 सितंबर से आरंभ हुई है। रामलीला जो पूरे 31 दिनों तक चलती है। इस वर्ष रामलीला का समापन कोट विदाई के प्रसंग से दिनांक 23 अक्तूबर को होगा।
हर स्थल का है अपना-अपना नाम
रामलीला में के लिए अलग-अलग स्थान बनाए गए है। रामनगर में अब भी सभी स्थान वही हैं। इनमें जनकपुर, अयोध्या, लंका, घंडइल, पंचवटी,रामेश्वर आदि प्रमुख हैं।
हर वर्ष होता है रामलीला में अभिनय करने वालो का चयन
रामलीला के लिए हर वर्ष पंचस्वरूपों का चयन किया जाता है। श्रीराम,लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न और माता जानकी की भूमिका निभाने वाले किशोरों का चयन प्रतिवर्ष किया जाता है।
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