रामराज्य रथ यात्रा के लिए रथ तैयार हो चुका है। यह यात्रा महाशिवरात्रि के पर्व पर 13 फरवरी से शुरू होगी। रथ यात्रा रामेश्वरम में जाकर खत्म होगी। माना जा रहा है कि रथ यात्रो को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हरी झंडी दिखा सकते हैं। रामराज्य रथ यात्रा का आयोजन श्रीराम दास मिशन यूनिवर्सल सोसाइटी कर रही है। इस रामराज्य रथ यात्रा का मुख्य उद्देश्य श्रीराम जन्मभूमि पर राम मंदिर का निर्माण करवाना है। गौरतलब है कि 28 साल पहले 1990 में अयोध्या में विवादित भूमिपर राम मंदिर के निर्माण के लिए लालकृष्ण आडवानी की अगुवाई में भी रथ यात्रा निकाली गई थी। हालांकि तब से अब तक राम मंदिर बनने का संकल्प अभी तक नहीं पूरा हो पाया है और राममंदिर निर्माण के लिए उच्चतम न्यायालय में सुनवाई फिर से शुरू होने वाली है।
13 फरवरी को शुरू होगी यात्रा
संस्था के श्री शक्तित शांतानंद महर्षि व पराग बुआ रामदासी ने जानकारी देते हुए बताया कि, आगामी 13 फरवरी को सुबह 10 बजे से दोपहार एक बजे तक कारसेवकपुरम् में महंत नृत्यगोपाल दास की अध्यक्षता में और महंत कमल नयन दास के मार्गदर्शन में संत सभा का आयोजन किया जाएगा। इस सभा में बड़ी संख्या में संत-धर्माचार्य उपस्थित रहेंगे। उसके बाद दोपहर 2 से 4 बजे तक रामराज्य रथ यात्रा का उद्घाटन समारोह होगा। 4 बजे से कारसेवकपुरम् से रथ यात्रा शुरू होगी, जो कारसेवकपुरम् से होते हुए नयाघाट मुख्य मार्ग से फैजाबाद जाएगी।
41 दिन की यात्रा ऐसे पूरी होगी
इसी तरह फैजाबाद से नंदीग्राम भरतकुंड में रथयात्रा का पहल विश्राम होगा। 41 दिन की इस रथ यात्रा के दौरान नियोजित स्थानों पर प्रतिदिन शोभा यात्रा एवं राम राज्य सम्मेलन अयोजित होगा। सभी हिन्दू संगठनों के सहयोग से चलने वाली राम राज्य रथ यात्रा का समापन सम्मेलन 24 एवं 25 मार्च को श्रीपद्भनाथ स्वामी मंदिर त्रिरूअनन्तपुरम् केरल में स्वामी सत्यानंद सरस्वती नगरी मैदान में होगा।
सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई
कार्यक्रम के मुताबिक, फैजाबाद से नंदीग्राम भरतकुंड में रथयात्रा का पहला विश्राम होगा। श्री शक्तित शांतानंद महर्षि की मानें तो रामराज्य रथ यात्रा का मकसद श्रीराम जन्मभूमि पर राम मंदिर बनवाना है। महर्षि ने कहा कि इस धरती पर रामराज्य की पुर्नस्थापना के लिए इस रथ यात्रा का आयोजन किया गया है। सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद मामले की गुरुवार से सुनवाई होने जा रही है। पूरे देश की नजरें इस मामले पर टिकी हुई हैं, क्योंकि यह शीर्ष अदालत के सामने इस साल का सबसे अहम मामला है।
इस मामले की पिछली सुनवाई 5 दिसंबर को हुई थी। सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्षकार की ओर से पेश वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि सुनवाई को लेकर इतनी जल्दी क्यों है। 2019 के बाद इसकी सुनवाई की जाए। उनकी इस दलील को चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच ने नकार दिया था और कहा था कि अब सुनवाई नहीं टाली जाएगी। सुप्रीम कोर्ट में हुई पिछली सुनवाई के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने इस मामले के लिए दस्तावेजों का अलग-अलग लिपियों और भाषाओं में अनुवाद कराया है, जो 53 खंड में हैं। मूल दस्तावेज संस्कृत, फारसी, पालि, उर्दू और अरबी में हैं।