उत्तर प्रदेश के कासगंज जिले में तिरंगा यात्रा के दौरान हिंसा में चंदन की मौत के बाद भी सियासत थमने का नाम नहीं ले रही है. हालांकि चंदन की हत्या का आरोपी शकील अभी भी फरार है, जबकि उसके घर से तलाशी के दौरान पुलिस ने देशी बम और पिस्टल बरामद की है. पुलिस लगातार हालात पर नजर बनाये हुए है लेकिन बयानों का सिलसिला सोशल मीडिया से लेकर हर जगह थमने का नाम नहीं ले रहा है.
बरेली डीएम के बाद डिप्टी डायरेक्टर रश्मि वरुण का पोस्ट
सहारनपुर की डिप्टी डायरेक्टर सांख्यिकी रश्मि वरुण ने फेसबुक पोस्ट में कासगंज हिंसा की तुलना सहारनपुर के मामले से की है. इसके पहले बरेली डीएम ने भी विवादित पोस्ट किया था जिसके बाद काफी बवाल बढ़ गया और उन्हें माफ़ी मांगनी पड़ी थी.
28 जनवरी को रश्मि वरुण ने अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखा है, -तो ये थी कासगंज की तिरंगा रैली. यह कोई नई बात नहीं है. अंबेडकर जयंती पर सहारनपुर के सड़क दूधली में भी ऐसी ही रैली निकाली गई थी. उसमें से अंबेडकर गायब थे या कहिए कि भगवा रंग में विलीन हो गये थे. कासगंज में भी यही हुआ. तिरंगा गायब और भगवा शीर्ष पर. जो लड़का मारा गया, उसे किसी दूसरे, तीसरे समुदाय ने नहीं मारा. उसे केसरी, सफेद और हरे रंग की आड़ लेकर भगवा ने खुद मारा.
इसके आगे रश्मि ने अपनी पोस्ट में लिखा, जो नहीं बताया जा रहा है वो ये कि अब्दुल हमीद की मूर्ति या तस्वीर पे तिरंगा फहराने की बजाय इस तथाकथित तिरंगा रैली में चलने की जबरदस्ती की गई और केसरिया, सफेद, हरे और भगवा रंग पे लाल रंग भारी पड़ गया.
बरेली डीएम का पोस्ट
बता दें कि बरेली के जिलाधिकारी आर विक्रम सिंह ने कासगंज घटना पर फेसबुक पर एक पोस्ट लिखा था.
बरेली डीएम ने अपने पोस्ट में उन्होंने लिखा था, अजब रिवाज बन गया है. मुस्लिम मुहल्लों में जबर्दस्ती जुलूस ले जाओ और पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाओ. क्यों भाई वे पाकिस्तानी हैं क्या? यही यहां बरेली में खैलम में हुआ था. फिर पथराव हुआ, मुकदमे लिखे गए..
विवाद बढ़ने पर बरेली डीएम का फेसबुक पर ‘माफीनामा’
26 जनवरी को यूपी के कासगंज में कुछ युवक तिरंगा रैली के नाम से एक मुस्लिम इलाके में पहुंचे थे. तिरंगा यात्रा के दौरान हुई कहासुनी हिंसा के रूप ले चुकी थी और इसी के दौरान चन्दन की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.