यूपी के अमेठी जिले में सरकार के लाख प्रयासों के बावजूद भी प्राथमिक आैर उच्च प्राथमिक विद्यालयों की दशा सुधरने वाली नहीं दिख रही है। कहीं अध्यापक स्कूल ही नहीं आते हैं तो कहीं आते हैं तो काफी लेट आैर दोपहर का भोजन करा कर चले जाते हैं।
- लगता है गुरुजी को पढ़ाने से कोर्इ मतलब ही नहीं है वह बच्चों के भविष्य को अंधकार की ओर ले जा रहे थे।
- इसकी शिकायत पर जब खंड शिक्षा अधिकारी ने जांच की तो पता चला की अध्यापक स्कूल बहुत कम आते हैं और आते हैं तो हस्ताक्षर करके चले जाते हैं।
- अधिकारी की इस कार्रवाई से अध्यापकों ने विरोध शुरू कर दिया है।
रजिस्टर पर हस्ताक्षर करके लौट जाते हैं गुरु जी
- सरकारें भले ही शिक्षा के लिए बेशुमार धन खर्च कर रही हों।
- लेकिन धरातल पर सच्चाई कुुछ और ही है।
- शुकुल बाजार के मवइया प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक पर अभिभावक लगातार आरोप लगाते रहे हैं।
- कि प्रधानाध्यापक विद्यालय बहुत ही कम आते हैं और देर सबेर यदि आ भी गये राजनीति और पेपर की बातों से ही समय गुजार देते है।
- जब यह शिकायत खंड शिक्षा अधिकारी अशोक यादव को मिली तो वह मवइया प्राथमिक विद्यालय की जांच करने गये।
- जहां खंड शिक्षा अधिकारी प्रधानाध्यापक के कार्य प्रणाली से असन्तुष्ट दिखे।
- सूत्रों ने बताया कि इस जांच से क्षुब्ध प्रधानाध्यापक ने गुटबाजी करते हुए शुकुल बाजार के एबीआरसी के अनुपस्थित का हवाला देते हुए नारेबाजी शुरू कर दी।
- लामबंद आध्यापको का आरोप है कि यदि एबीआरसी शुकुल बाजार के अनुपस्थित पर उनके खिलाफ कार्यवाही नहीं हुई तो क्यों परेशान किया जा रहा है।
- अध्यापको एवं विभागीय आरोपों प्रत्यारोपों से तो केवल पढ़ने वाले छात्रों का भविष्य अन्धकारमय हो रहा है।
- क्षेत्र के कुछ जन प्रतिनिधियों ने बताया कि हमारे यहां प्राथमिक शिक्षा बिल्कुल दयनीय स्थिति में है।
- प्रधानाध्यापक के गैर मौजूदगी में सहायक अध्यापक के द्वारा ही विद्यालय खोला जाता है।
- प्रधानाध्यापक के खिलाफ शिकायत भी किया लेकिन कोई सुधार देखने को नही मिला कुछ अध्यापकों ने दबी जुबान से बताया कि प्राथमिक विद्यालय मवइया, पुरे भंजन, कला मकदूम पुर, पुरे बोधी, आदि ऐसे विद्यालय हैं जहां शिक्षक आते ही नहीं हैं।
- इतना ही नहीं प्रपत्र 9 पर हस्ताक्षर कर लौट जाते हैं।
- लोगो की माने तो कुछ विद्यालयों में तैनात शिक्षक का अपने अधिकारियों के साथ सेटिंग की वजह से चांदी काट रहे हैं।
- शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई) लाकर बच्चों की पहुंच स्कूल तक तो हो गई लेकिन शिक्षा तक उनकी पहुंच अब भी नहीं हो पायी है।
- सीखने की सारी जिम्मेदारी व जवाबदेही बच्चों पर वापस डाली जा रही है।
- उत्तर प्रदेश में सरकार हर बच्चे को शिक्षा मुहैया करा रही है।
- दावा तो यही है, मगर दावे अमेठी में हकीकत से बहुत दूर नजर आते हैं।
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