सांसद चौधरी बाबू लाल द्वारा गोद लिए गाँव बटेश्वर की स्तिथि में नहीं हुआ सुधार
- ऐतिहासिक, पौराणिक और धार्मिक नगरी झेल रही उपेक्षा का दंश नहीं हुआ अब तक कोई विकास
- बटेश्वर में कृष्ण के पुत्र और पौत्र के नाम पर बसा पद्मखेड़ा है |
- पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी के गांव में गलियां पड़ी हैं बदहाल |
- सांसद के गोद लेने के बाद भी कोई सुधार नहीं हुआ।
महाभारतकालीन बटेश्वर में कृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न के नाम पर बसा पद्मखेड़ा और पौत्र के नाम बसा औधखेड़ा उपेक्षित पड़ा है
- दोनों मुहल्लों में अब स्मृति चिन्ह ही शेष हैं।
- भगवान नेमीनाथ की जन्म कल्याण भूमि शौरीपुर बटेश्वर को जाने वाली सड़क पर सुरक्षा घेरा तक नहीं है।
- जिस जंगलात कोठी को फूंक कर 1942 में अटल बिहारी समेत करीब 30 देशभक्त जेल गए,
- वह कोठी और अटल जी का घर तक वीरान पड़ा है।
विकास के नाम पर बटेश्वर में पर्यटक कॉम्प्लेक्स, सांस्कृतिक प्रेक्षागृह खंडहर में तब्दील हो गए
- उपेक्षा के चलते ही कार्तिक माह में लगने वाला उत्तर भारत का प्रमुख मेला क्षेत्रीय दायरे में सिमटकर रह गया।
- बटेश्वर की विरासत पर जमी धूल को हटाने के बारे में अब तक सरकारों ने सोचा तक नहीं।
- गलियां अभी भी कच्ची हैं।
- जगह-जगह लगे गंदगी के ढेर स्वच्छ भारत अभियान की पोल खोलने के लिए काफी है।
- ग्राम निधि से सीमित दायरे में काम हो रहे हैं।
- गांव की प्रेमवती, गुड्डी, सरला, मीरा, जलदेवी, जयदेवी आदि का कहना है कई बार आवेदन के बाद भी पेंशन स्वीकृत नहीं हुई।
- गोरेलाल, शिवराज पेंशन के लाभ से वंचित है।
- धनपाल, निरंजन, अंतराम को दिव्यांगता का लाभ नहीं मिला है।
कई दर्जन महिला और पुरुष हैं, जिन्हें शासन की सहायता की आवश्यकता है
- पीने की टंकी बनी शो पीस
- बटेश्वर में पेयजल के लिए टंकी का निर्माण कराया गया था,
- लेकिन उससे समस्या का निदान नहीं हुआ।
- टीले पर बसे मुहल्लों में पानी नहीं पहुंचता है।
गांव की बात तो दूर प्राथमिक स्कूल में लगा हैंडपंप भी महीनों से खराब है
- यहां आने वाले श्रद्धालु व विदेशी पर्यटक पानी खरीद कर प्यास बुझा रहे हैं।
- मंदिर के आसपास तो पानी का अभाव है ही, गांव में भी पानी की पूर्ति नहीं हो पा रही।
- शिक्षा के नाम पर बस खान पूर्ति हो रही |
- बटेश्वर में प्राथमिक, जूनियर स्कूल के अलावा राजकीय स्कूल हैं |
शिक्षकों के अभाव में बच्चों को शिक्षा का लाभ नहीं मिल रहा है
- बटेश्वर अस्पताल को सीएचसी का दर्जा तो दे दिया |
- लेकिन सुविधाएं और संसाधन मुहैया नहीं कराए गए |
- न तो चिकित्सक हैं और न ही दवा का भंडार।
- मजबूरन मरीजों को बाह या आगरा की दौड़ लगानी पड़ती है।
- फतेहपुरसीकरी के सांसद चौधरी बाबूलाल ने बटेश्वर को गोद लेकर मात्र विकास की योजना बनाई है |
- गोद लिए एक साल होने को आया, अब तक जमीन पर योजनाएं दिखाई नहीं दीं।
ग्रामीणों का कहना है कि गांव को गोद लेकर औपचारिकता ही पूरी की गई है
- देश और प्रदेश में सरकार होने के बाद भी विकास कार्य नहीं कराना सांसद की नियत पर सवाल उठाता है।
- गोद लेने के बाद सांसद ने बटेश्वर की ओर मुड़कर नहीं देखा।
- बटेश्वर के नाम पर आगरा-बटेश्वर-इटावा रेल लाइन बिछाई गई,
- लेकिन बटेश्वर को ही उसका लाभ नहीं मिला।
- कारण स्टेशन बटेश्वर से पांच किमी दूर है।
- बटेश्वर विदेश तक अपनी पहचान रखता है,
- लेकिन यहां की हालत से बटेश्वर की साख खराब हो रही है।
विकास के नाम पर कुछ भी नहीं है
- बटेश्वर की ऐतिहासिक मंदिर श्रंखला को संरक्षण की आवश्यकता है।
- सरकार इस ओर ध्यान नही दे रही है।
- बटेश्वर में विकास नही हो पा रहा है।
- इससे लोग पलायन कर रहे हैं।
- बटेश्वर में पुलिस थाने के अलावा विकास की आवश्यकता है।
गांव बदहाल है, खड़ंजा तक नहीं बन रहे हैं, पानी की बड़ी समस्या है
- पूर्व प्रधानमंत्री की जन्मस्थली, केंद्र व प्रदेश में भाजपा की सरकार,
- इस बार विकास नहीं हुआ तो कब होगा।
- बटेश्वर से सरकारी बसों का संचालन भी होना चाहिए।
- जब सांसद ने बटेश्वर को गोद लिया तब बड़ी आशा जागी |
- लेकिन अभी तक गांव में ऐसा कोई कार्य नहीं हुआ जिसे सांसद के गोद लेने के बाद याद किया जाए।
- सांसद को हर साल पांच करोड़ रुपये सांसद निधि के तौर पर मिलते हैं।
- यदि इस निधि में से ही कुछ राशि गोद लिए गांवों को मिल जाती तो आज काया बदल चुकी होती।
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