राज्य सरकार की जांच में भले ही यह पाया गया है कि 38 बच्चों की मौत के लिए ऑक्सीजन सप्लाई का बाधित (oxygen supply stopped) होना कोई कारण नहीं है। यूपी के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह और चिकित्सा शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन ने भी ऑक्सीजन की कमी से होने वाली मौतों की मीडिया रिपोर्ट्स को झुठला दिया।
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- मगर हकीकत यह है कि बीते 10 और 11 अगस्त को बीआरडी मेडिकल कॉलेज में हुईं मौतों में सभी वही मरीज शामिल थे जो ऑक्सीजन सप्लाई पर इलाज पा रहे थे।
- 1. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 11 अगस्त को जब शाम 7:30 बजे ऑक्सीजन की सप्लाई बाधित हो गई थी तब वहां मात्र 52 जम्बो सिलिंडर ही उपलब्ध थे।
- 2. उस दौरान 52 जम्बो सिलिंडर सभी मरीजों के लिए पर्याप्त नहीं थे। जम्बो सिलिंडर की सप्लाई को जरूरत के अनुरूप मुहैया कराने में बीआरडी मेडिकल कॉलेज प्रशासन को रात के 1:30 बज गये थे।
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- 3. 11 अगस्त को जब तक सिलिंडर की सप्लाई पूरी की जाती तब तक बीआरडी अस्पताल के इंसेफेलाइटीस वार्ड, नेयोनेटल वार्ड और वार्ड संख्या 14 में कई मरीजों की मौत हो गई थी।
- 4. वहीं 10 अगस्त को सुबह 11:20 बजे ही सेंट्रल ऑक्सीजन पाईपलाइन ऑपरेटर विभाग को पता चल गया था कि ऑक्सीजन की सप्लाई पर असर पड़ने वाला है।
- 5. इसके बाद सेंट्रल ऑक्सीजन पाईपलाइन ऑपरेटर ने लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन (LMO) से सप्लाई की रिपोर्ट मांगी थी।
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- 6. उस समय की रिपोर्ट में बताया गया है कि सप्लाई मित्र की रीडिंग 900 थी जबकि उसकी कैपेसिटी 20 हजार थी. यह आंकड़ा ही हकीकत को बयाँ करने के लिए काफी है।
- 7. इस भयावह आंकड़े को जानने के बाद चार ऑपरेटर्स ने बाल विभाग को लिखित में सूचना दे दी थी।
- 8. उस चिट्ठी की दूसरी कॉपी बीआरडी के प्रिंसिपल सहित नेहरु अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक व NRHM मेडिकल कॉलेज के एनेस्थीसिया विभाग को भी भेजी गई थी।
- 9. बता दें कि नेहरु अस्पताल का बीआरडी मेडिकल कॉलेज से टाईअप है।
- 10. कुल मिलाकर सभी को समय रहते सूचना दे दी गई थी (oxygen supply stopped) मगर किसी ने भी इस बारे में उचित कदम नहीं उठाया।