सांसद पुष्पेंद्र सिंह चंदेल द्वारा गोद लिया पिपरामाफ गांव विकास की वास्तविकता से कोसों दूर

  • देश के प्रधानमंत्री के आवाहन पर हमीरपुर-महोबा सांसद पुष्पेंद्र सिंह चंदेल ने जिले के पिपरामाफ गांव को गोद तो लिया पर इसकी परवरिश करने की उन्हें फुर्सत नहीं |
  • उनके गोद लिए गांव में न बिजली है न पानी और न अन्य व्यवस्थाएं हैं |
  • गांव के लोगों ने सीएम से सम्बंधित ज्ञापन डीएम को सौंपकर समस्याओं का निराकरण कराने की मांग की है।
  • पिपरामाफ मजरा संकट मोचन पठारी के निवासी जनक सिंह परिहार के नेतृत्व में आए दर्जनों ग्रामीणों ने ज्ञापन में बताया |
  • वह मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं |
  • शासन प्रशासन के साथ ही सांसद को दर्द बताने के बाद भी उनके गांव में न विद्युतीकरण हुआ और न ही पक्की सड़क बनी।
  • गांव के मौजा संकट मोचन पठारी का तो और भी बुरा हाल है।

https://www.uttarpradesh.org/rate-your-leader/sansad-adarsh-gram-yojana/kunwar-pushpendra-singh-chandel-sagy-adopted-village-pipra-maaf-233397/

कई बार पत्राचार कर समस्याएं बताई गई पर कोई सुनवाई नहीं हुई
  • ऐलान किया कि अब वह आरपार की लड़ाई करेंगे |
  • एक सप्ताह के अंदर अन्य सारी समस्याओं का हल न निकाला तो वह मुख्यालय तहसील प्रांगण में धरना प्रदर्शन व अनशन करने को मजबूर होंगे |
  • ज्ञापन सौंपने के दौरान वीरेंद्र, शिवम, रामअवतार, कमलेश रैकवार, रामखिलावन सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे।
  • मोदी जी ने अपने सांसदों को संसदीय क्षेत्र में एक गांव गोद लेकर उसके विकास की जिम्मेदारी दी |
  • महोबा में सांसद द्वारा गोद लिया गया गांव विकास की वास्तविकता से कोसों दूर है।
  • यही बुंदेलखंड का महोबा है, जहां पानी की समस्या पर केंद्र सरकार ने वॉटर ट्रेन भेजकर राजनीती को नई दिशा दे दी थी |
  • खुद को बुन्देलखड़ियों का हितेषी बताया था।
  • लेकिन इसके उलट आदर्श गांव की तस्वीर इनकी करनी और कथनी को दर्शाने के लिए काफी है।
  • दो साल पूर्व मोदी लहर में हमीरपुर, महोबा, तिन्दवारी संसदीय क्षेत्र से जीते बीजेपी सांसद पुष्पेन्द्र सिंह चंदेल ने प्रधानमंत्री के निर्देश मिलते ही मध्यप्रदेश की सीमा से लगे 12 हजार आवादी वाले गांव पिपरामाफ़ को गोद लिया था।
  • सांसद पुष्पेन्द्र ने पिपरामाफ़ को गोद लेकर उसे आदर्श गांव का तमगा लगा दिया और विकास के वादें किये।
गांव के लोग सांसद से नाराज हैं
  • गांव में स्वच्छता मिशन को गंदगी के ढेर मुहं चिड़ा रहे |
  • ग्राम पंचायत पिपरामाफ़ का मजरा पठारी में मुलभुत सुविधाएं न के बराबर हैं |
  • आदर्श गांव होने के बावजूद भी इस मजरे में आजादी के बाद से आज तक बिजली भी नसीब नहीं हुई।
  • कई पीढ़ी अंधेरे में अपना गुजारा कर चुकी है तो वहीं वर्तमान भी दीपक और लालटेन के सहारे गुजर रहा है।
स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे लालटेन की रोशनी में पढ़ने के लिए मजबूर हैं
  • सांसद पुष्पेन्द्र सिंह की इस वादा खिलाफी से लोग बेहद नाराज हैं |
  • लोगों की माने तो आदर्श गांव उनके लिए वरदान होना चाहिए था लेकिन वह अभिशाप बन गया है।
  • प्रशासन भी इस गांव से मुहं मोड़े हुए है और सांसद गायब हैं |
  • आदर्श गांव की घोषणा को दो साल बीत गए और सांसद ने आज तक इस गांव की तरफ मुड़कर नहीं देखा।
  • यहां की आवाम सांसद से इस कदर न खुश है कि सांसद पुष्पेन्द्र सिंह चंदेल के गुमशुदा होने के पोस्टर पुरे गांव में चस्पा कर दिए।
  • चुनाव लड़ने से पहले पुष्पेंद्र सिंह चंदेल ने जनता से मनलुभावन वादें किये थे। पूर्व की भांति ही इस बार भी सांसद साहब के दीदार नहीं हो सके साहब दिल्ली में हैं या मोदी जी की तरह देश के बाहर आम जनता उनकी तलाश कर रही है।
यहाँ स्वच्छता मिशन के तहत बनाये गए शौचालय विकास में घोटाले की इबारत लिख रहे हैं।
  • गांव में बने अधिकतर शौचालय अधूरे बने हुए हैं और जो बन चुके हैं वो अभी से टूटने भी लगे हैं।
  • बुंदेलखंड की अपनी बदकिस्मती है कि सरकार किसी की भी हो, यहाँ सिर्फ खाना पूर्ति ही होती है।
  • खासकर महोबा जनपद जहाँ विकास के नाम पर भ्रष्टाचार चरम पर है।
  • यहाँ आने वाली योजनाएं कागजों पर पूरी हो रही हैं और जमीनी हकीकत अधूरी है।
  • गांव में भारत स्वच्छता मिशन के तहत लगभग 547 शौचालय स्वीकृत हुए थे।
  • एक शौचालय की कीमत 12 हजार रुपये है।
लाखों रुपये की लागत से गांव में शौचालय सिर्फ कागजों पर बनकर तैयार हैं
  • जो महिलाएं खेतों में शौच के लिए जाती हैं दबंग उनके साथ बदसलूकी करते हैं।
  • अधूरे बने शौचालय को ग्रामीण स्टोररूम के तरह इस्तेमाल कर रहे हैं |
  • कही ईंधन तो कही घरेलु सामान इन शौचालय में रखा हुआ है।
  • गांव में रहने वाले RTI कार्यकर्त्ता जनक सिंह परिहार बताते है कि उनके गांव के साथ सौतेला व्यवहार हो रहा।
  • हमारा गांव आदर्श गांव है, मगर हमें इसका लाभ नहीं मिल रहा।
ये सांसद आदर्श गांव नहीं बल्कि अभिशाप आदर्श गांव है
  • पढ़ने वाली छात्राएं हो या गांव की बहुये हो, इन्हें शौचालयें में हुई गड़बड़ी रास नहीं आ रही है।
  • जागरूक हो चुकी महिलाएं सरकार से शौचलय निर्माण को पूरा करने की मांग कर रही हैं |
  • वो कहती है कि उन्हें घर से बाहर शौच जाने में बड़ी शर्मिदगी उठानी पड़ती है, वहीँ हमेशा डर भी बना रहता है।

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