प्रधानमंत्री स्वच्छ भारत अभियान के तहत उत्तर प्रदेश को खुले में शौच मुक्त बनाने के लिए ग्रामीण इलाकों में शौचालयों का निर्माण तेजी से चल रहा है। गांवों में ईंट से बने शौचालय तो आप ने खूब देखे होंगे, लेकिन राजधानी के एक गांव में शौचालयों का निर्माण इस तरह हो रहा है जिसे सुनकर आप दंग रह जायेंगे। जी हां! हमारी टीम ने जब इस गांव में जाकर रियलिटी चेक किया तो वाकई शौचालयों के निर्माण को देखकर टीम भी भौचक्की रह गई। गांव में नाली, खड़ंजा नहीं है इससे जल निकासी नहीं हो पा रही है। स्कूल की ईमारत इतनी जर्जर है कि वह हिल रही है कभी भी गिर सकती है। ग्रामीणों ने ग्राम प्रधान और अधिकारियों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। पेश है एक रिपोर्ट…
नई तकनीक से बनाये जा रहे शौचालय
हमारी टीम बख्शी का तालाब (बीकेटी) के अस्ती गांव पहुंची। यहां गांव में घुसने से पहले आप को 500 मीटर पहले ही अपना वाहन खड़ा करना पड़ेगा। क्योंकि अगर गांव में वाहन ले गए तो कीचड़ में घुसना तय है। ग्राम प्रधान ने अपने इधर का तो उद्धार कराया लेकिन ग्रामीण समस्या से जूझ रहे हैं। ग्राम प्रधान अनुपमा सिंह के पति राजवीर सिंह ने बताया कि गांव में कुल 313 शौचालय बनने हैं। इनमें 200 का पैसा आया है और 70 शौचालय का निर्माण हो चुका है। उन्होंने बताया कि वह ईंट महंगी होने के चलते सीमेंट, मौरंग, सरिया, बालू और गिट्टी से शौचालय के साइज का पत्थर पथवाते हैं। ये पत्थर सूख जाने के बाद नेट बोल्ट के जरिये निर्धारित स्थान पर कस के खड़ा कर दिए जाते हैं। शौचालय खड़ा करने में महज 5 मिनट का समय लगता है। उन्होंने बताया कि शौचालय निर्माण के लिए महज 12 हजार रुपये आता है, इसमें से एक हजार रुपये बनवाई निकल जाती है। ये समझ लीजिये की गांव की प्रतिष्ठा के लिए शौचालय बनवा रहे हैं, इसमें घटा हो रहा है और जेब से पैसे लग रहे हैं।
प्राथमिक विद्यालय हिल रहा, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भरा भूसा
गांव के प्राथमिक विद्यालय की जर्जर हालत देखकर आप की रूह कांप जाएगी। विद्यालय की इमारत हवा चलने से हिलती है। विद्यालय गिरने की कगार पर है, लेकिन नौनिहाल ऐसे में पढ़ाई कर अपनी जान को जोखिम में डाल रहे हैं। गांव में बने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में प्रधान समर्थकों का भूसा भरा हुआ है। यहां मरीजों का इलाज तो नहीं होता लेकिन जानवर बंधे जरूर मिल जायेंगे। ग्रामीणों का आरोप है कि ग्राम प्रधान के समर्थक सरकारी परिसर में भूसा भरे बैठे हैं। गांव के लोगों का आरोप है कि गांव में कोई भी सुविधा नहीं है, बिजली पानी को ग्रामवासी तरस रहे हैं। ग्राम प्रधान ने गांव का विकास तो नहीं किया बल्कि अपना विकास जरूर कर लिया है।
गांव में गंदगी की भरमार, संक्रमण फैलने का खतरा
गांव में समस्याएं यहीं कम नहीं हुईं यहां जल निकासी के लिए नाली नहीं हैं। गांव में सड़क तो दूर खड़ंजा तक नहीं है इसके चलते ग्रामीण कीचड़ में निकलने को मजबूर हैं। मासूम बच्चे हाथ में चप्पल और जूते लेकर प्राथमिक विद्यालय पढ़ने जाते हैं। यही नहीं गांव में सफाई कर्मचारी ना आने के कारण गंदगी का अम्बार लगा हुआ है। गंदगी के चलते बीमारियां फैल रही हैं, ग्रामीणों के ऊपर मलेरिया और संक्रमण का खतरा मडरा रहा है। गांव के लोग भयंकर बदहाली की मार झेल रहे हैं लेकिन जिम्मेदारों को इसकी भनक तक नहीं है। आरोप है कि गांव में विधायक वोट मांगने तो आये थे लेकिन चुनाव जीतने के बाद आज तक झाँकने नहीं आये। विधायक को ग्रामीण पहचानते तक नहीं हैं। अब देखने वाली बात ये होगी कि क्या इन गरीब लोगों की समस्याएं दूर होंगी या नहीं यह तो वक्त ही बताएगा।
प्रदेश में सीमेंटेड शौचालय बनवाने वाला पहला गांव
भारत सरकार के स्वच्छ भारत मिशन के तहत जहां एक ओर स्वच्छता के संदेश दिए जा रहे हैं। लोगों के खुले में शौच करने से बचने के लिए जागरूक किया जा रहा हे वहीं दूसरी ओर जिम्मेदार इस अभियान का पलीता लगा रहे हैं। लखनऊ के बीकेटी विकासखंड के अस्ती ग्राम पंचायत में बने हुए शौचालय से निर्माण हो रहा है। ग्राम प्रधान का दावा है कि उनका गांव प्रदेश में पहला ऐसा गांव है जहां वह सीमेंट से शौचालय का निर्माण करवा रहे हैं। इस शौचालय में काफी घटा भी हो रहा है।
कॉलोनियों में भी ग्राम प्रधान के किया घपला
अस्ती गांव में कई लोगों के शौचालय नहीं बने ना कोई मदद मिली। मजबूरन खुले में शौच के लिए जाना पड़ता है। सबसे ज्यादा परेशानी गांव की महिलाओं को होती। रात में उनको खेतों में जाना पड़ता है। शौचालय ना होने से हम महिलाओं को भी शौच के लिए खेतों में जाना पड़ता है। महिलाओं ने कहा कि हमें भी शर्म आती है, लेकिन क्या करें पिछले कई वर्षो से शौचालय बनवाने की मांग कर रहे हैं लेकिन कोई सुनने वाला नहीं। ग्राम प्रधान के कार्यकाल में भी शौचालय नहीं मिला। हमारी आर्थिक स्थिति इस लायक नहीं कि हम शौचालय बनवा सकें। सरकारी मदद न मिल पाने से पूरे गांव में शौचालय नहीं बन सकें हैं। ग्राम प्रधान के मुताबिक, गांव में कुल 34 कालोनी आई इनमें उन्होंने 32 कॉलोनी का निर्माण करवाया। दो कालोनियों का पैसा ना आने से नहीं बन सकी। वहीं ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि प्रधान ने अपने चहेतों को कॉलोनी दी पात्र लोगों को कोई सरकारी सुविधा नहीं मिल रही है।
15 ग्राम सभाओं में नहीं है पंचायत भवन
बीकेटी ब्लॉक क्षेत्र की पंद्रह ग्राम सभाएं ऐसी जहां अभी तक पंचायत भवन नहीं बन सका है। ग्राम पंचायत विकास अधिकारी और प्रधान कामकाज निपटाने का कोई ठिकाना तय नहीं हो सका है। बीबीपुर, देवरी रुखारा, शाहपुर, सरसावा, पृथ्वीपुर बरगदी कला, दौलतपुर, रसूलपुर कायस्थ, राजा सलेमपुर आलमपुर, खेड़ा बरगदी, सुल्तानपुर मदारीपुर, बेहटा गुलालपुर इत्यादि गांव ऐसे हैं कि इनमें पंचायत भवन भी नहीं हैं। आरोप है कि ग्राम प्रधानों ने पंचायत भवन निर्माण के लिए आया धन निकालकर बंदरबांट करके खा लिया।
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