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वीडियो: तीन तलाक, हलाला और शोषण!

triple talaq

इस्लाम धर्म के उद्भव को आज करीब-करीब 1400 साल बीत चुके हैं, दुनिया आज जहाँ तरक्की के नए आयामों को ढूंढ रही है। वहीँ इस्लाम धर्म के अनुयायी अभी तक पुरानी शरिया नीतियों से बाहर नहीं निकल पाए हैं। हालाँकि, समय के साथ इस्लाम धर्म ने भी कुछ बदलाव किये हैं, लेकिन इस्लाम धर्म में एक मुद्दा ऐसा है और खासकर भारत में यह मुद्दा मौजूदा समय में सबसे बड़ा विवाद बना हुआ है।

ट्रिपल तलाक के भयावह नतीजे:

इस्लाम धर्म में भी अब उनके सबसे प्राचीन शरिया कानून को मान्यता मिली हुई है, हालाँकि कई मुद्दों पर शरिया कानून में बदलाव कर उनका नवीनीकरण किया गया है। लेकिन इस्लाम धर्मं में ट्रिपल तलाक के मुद्दे पर अभी भी सदियों पुराने कानून के आधार पर फैसला किया जाता है, जिसने अब तक कई मुस्लिम महिलाओं की जिंदगी को जीते जी नरक में तब्दील कर दिया है।

हो सकता है जब ट्रिपल तलाक कानून बनाया गया हो तब इसको सकारात्मक रूप में अमल में लाने की कोशिश की गई हो, लेकिन वर्तमान परिवेश में इस कानून के भयावह परिणाम ज्यादा देखने को मिल रहे हैं। पति अपनी पत्नियों को छोटी-छोटी बातों पर ट्रिपल तलाक देकर उन्हें पूरी ज़िन्दगी के लिए बेसहारा छोड़ देते हैं।

आज आपको UttarPradesh.Org बताएगा कि, जिस किसी भी भारतीय मुस्लिम महिला को ट्रिपल तलाक का सामना करना पड़ा है, उनके साथ धर्म के नाम पर क्या-क्या खिलवाड़ किया जाता है।

यह वीडियो आपको चौंका देगा:

https://www.youtube.com/watch?v=ky1y5S8O3fs&feature=youtu.be

देश में ट्रिपल तलाक की आड़ में हो रहा है महिलाओं का यौन शौषण:

UttarPradesh.Org ने ट्रिपल तलाक के मुद्दे पर जमीनी हकीकत का मुआयना किया तो जो तथ्य सामने आये हैं, वो आपको चौका देंगे। UttarPradesh.Org ने ट्रिपल तलाक से पीड़ित महिलाओं का पक्ष रखने वाली एक्टिविस्ट शाइस्ता अम्बर से बातचीत की। जिन्होंने ट्रिपल तलाक और हलाला सेंटर्स की हकीकत को बयान किया।

उन्होंने बताया कि, कुरान शरीफ में हलाला का कानून ही नहीं है। साथ ही उन्होंने बताया कि, ट्रिपल तलाक के मुद्दे पर पीड़ित मुस्लिम महिलाओं को कानून से भी कोई मदद नहीं मिलती है। महिलाओं से यह कहकर कि, ये उनके धर्म का मामला है, तो मौलाना से मिलें। मौलानाओं द्वारा पीड़ित महिलाओं को हलाला के रूप में एक रास्ता दिखाया जाता है, जो वास्तविकता में रास्ता नहीं बल्कि हलाला के नाम पर उसमें पीड़िता का यौन-शोषण किया जाता है, उसके साथ एक प्रकार का बलात्कार किया जाता है और ये सब होता है धर्म के नाम पर, ट्रिपल तलाक के बाद हलाला के नाम पर।

पढ़ें ट्रिपल तलाक से पीड़ित एक महिला की आपबीती:

शबाना (बदला हुआ नाम) का निकाह बहराइच के रहने वाले एक युवक सलमान से हुआ था। गौरतलब है कि, दोनों ने लव मैरिज की थी। शादी के कुछ दिनों बाद ही पीड़िता के ससुराल वालों ने उसे परेशान करना शुरू कर दिया। पीड़िता के अनुसार, चूँकि उसने और सलमान ने अपनी मर्जी से शादी की थी, इसलिए ससुराल वालों ने पीड़िता को दहेज़ के लिए परेशान करना शुरू कर दिया।

मामले में यह बात गौर करने वाली है कि, सलमान और शबाना ने पहले इस्लाम के अनुसार निकाह किया था, साथ ही दोनों ने कोर्ट मैरिज भी की थी। लेकिन जब सलमान ने शबाना को तलाक दे दिया तो उसके बाद पीड़िता को कानून की मदद न देकर उसे मामले को अपने धर्म के अनुसार सुलझाने की बात सुनने को मिली।

जिसके बाद धर्म के नाम पर मौलाना ने पीड़िता से हलाला कराने की बात कही। लेकिन शबाना उसके लिए तैयार नहीं हुई। उसके बावजूद महिला का दूसरा निकाह पढ़ाया गया, जिसमें पीड़िता ने अपनी रजामंदी नहीं दी थी।

अब सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि, जब पीड़िता और उसके पति ने निकाह के साथ कोर्ट मैरिज भी की थी, तो मामले में सिर्फ धर्म के आधार पर हुए तलाक को मान्यता क्यों दी गयी?

22 इस्लामिक देशों में बैन हो चुका है ट्रिपल तलाक:

ऐसा नहीं है कि, हर इस्लामी देश में ट्रिपल तलाक कानून कि व्यवस्था अभी भी जारी है। 22 इस्लामिक देशों में इस कानून को बैन कर दिया गया है। लेकिन भारत में अब भी ट्रिपल तलाक को धर्म का निजी मामला बताकर रबर की तरह खींचा जा रहा है। वहीँ देश में मौजूदा कुछ मौलाना इस्लाम और ट्रिपल तलाक के मुद्दे पर हलाला की आड़ में यौन-शोषण, बलात्कार जैसी वीभत्स घटनाओं को अंजाम देते हैं। धर्म के नाम पर चल रहे इन हलाला सेंटर्स और ट्रिपल तलाक जैसे मुद्दे पर देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट को तत्काल प्रभाव से फैसला लेते हुए इस कानून को खत्म कर देश की मुस्लिम महिलाओं की ज़िन्दगी को बर्बाद होने से रोकना होगा।

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