देशभर में पकौड़ा राजनीति ने तूल पकड़ लिया है। कहीं विपक्षी पार्टियां पकौड़े तलकर अपना विरोध दर्ज कर रही हैं, तो कहीं युवा पकौड़े बेचकर केंद्र सरकार का विरोध कर रहे हैं। राजनीतिक पार्टियों से हटकर जब हमारे uttarpradesh.org ने युवाओं की प्रतिक्रिया ली और जानने की कोशिश की, कि आखिर युवा क्या चाहता है?
उनसे सवाल किया गया कि ‘क्या इतनी हायर एजुकेशन के बाद अगर रोजगार नहीं मिला तो पकौड़े बेचने को वह अपने रोजगार के रूप में अपनाएंगे?.. इस बाबत अमन, सौरभ चतुर्वेदी, रितेश, दीपिका बाजपेयी, शिवानी आर्या, भूपेंद्र कुमार पाल, अभिषेक यादव आदि युवाओं से जब बातचीत का गई तो युवाओं ने कुछ यूं दिया जवाब……
अधिकतर युवाओं का कहना है कि इतनी पढ़ाई-लिखाई के बाद तकनीकी के क्षेत्र में रोजगार के तमाम विकल्प हैं जिन्हें वो अपनाएंगे न कि पकौड़ा बेचेंगे। उन्होंने कहा कि अगर हम पकौड़े बेचेंगे तो देश का विकास कैसे होगा वहीं कुछ युवाओं का कहना है कि कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता पकोड़े बेचना कोई शर्म की बात नहीं है लेकिन इतनी पढ़ाई लिखाई के बाद पहले हम किसी और रोजगार को प्राथमिकता देंगे और कोई विकल्प ना होने पर पकोड़े बेचना गलत नहीं होगा।
केंद्र सरकार का बजट पेश होने के बाद देशभर में पकौड़ा राजनीति ने तूल पकड़ लिया है। जिसके बाद तमाम विपक्षी पार्टियां पकौड़े बेचकर अपना विरोध दर्ज करा रही हैं। विपक्षी पार्टियों का मानना है कि अगर इतनी पढ़ाई लिखाई के बाद भी युवाओं को रोजगार नहीं मिला तो क्या युवा पकौड़ा बेचेंगे तो वहीं भाजपा प्रमुख व मोदी सरकार का मानना है कि पकौड़ा तलना कोई शर्म की बात नहीं है, बेरोजगार रहने से तो अच्छा ही है कि पकौड़ा बेचने को ही रोजगार के रूप में अपनाया जाए। जिसके बाद देशभर में तमाम युवा भी पकौड़े बेचकर अपना विरोध दर्ज कर रहे हैं।