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मांस की बिक्री पर प्रतिबन्ध गैर संवैधानिक और घोर दलित विरोधी फैंसला

sale of meat ban anti Dalit decision

sale of meat ban anti Dalit decision

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने योगी सरकार के मांस की बिक्री सम्बंधित प्रतिबन्ध पर घोर आपत्ति दर्ज करते हुए उसको दलित-पिछड़ा विरोधी फैंसला करार दिया। राकापा मौजूदा सरकार के फैंसले को आ संवेधानिक करार करते हुए जीने के अधिकार पर सरकारी अतिक्रमण बताया।

राकापा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. रमेश दीक्षित ने मांस की बिक्री सम्बंधित फैंसले को असंवैधानिक करार देते हुए इसको योगी सरकार का दलित-पिछड़ा विरोधी फैंसला करार दिया। डॉ. दीक्षित ने जारी एक बयान में कहा कि मौजूदा प्रतिबन्ध से प्रदेश की एक बड़ी आबादी के खानपान के अधिकारों पर खुला अतिक्रमण है। उन्होंने इसको पंचायतीराज का भी उलंघन बताया। डॉ. दीक्षित ने कहा कि संविधान हम सबको संविधान की धारा 21 के तहत जीने का अधिकार देता है जिसके तहत हम अपनी संस्कृति, रीति-रिवाजों, परम्पराओं को जीते है जिसमे उनका खानपान भी निहित होता है।

वर्तमान निर्णय का सीधा असर बड़ी दलित-पिछड़ी आबादी पर पड़ेगा। डॉ. दीक्षित ने कहा कि मांस की कटाई पर प्रतिबन्ध के चलते दलित पिछडो को आर्थिक नुकसान भी झेलना पड़ेगा। दलितों और पिछडो की बड़ी आबादी पहले से ही भूमिहीन है , उसकी आर्थिक स्थिति बहुत हद्द तक पशुपालन और उसके मांस बिक्री पर ही आधारित है। उन्होंने आगे कहा कि इस तरह का मांस ही उनका भोजन है और सस्ते प्रोटीन का श्रोत भी है।

डॉ. रमेश दीक्षित ने मांस कटाई पर प्रतिबन्ध को दलितों-पिछड़ों के रोजगार और आय पर हमला भी बताया। उन्होंने आगे कहा कि जल्द ही वह दुसरे राजनैतिक दलों से बात करके एक संयुक्त पीआईएल भी दाखिल करके कोर्ट से मौजूदा फैंसले पर हस्तक्षेप करने को कहेंगे। डॉ. रमेश दीक्षित ने मौजूदा प्रदेश सरकार को सभी मोर्चो पर असफल बताते हुये कहा है कि झूठ और फरेब के दम पर सत्ता में आयी भाजपा सरकार ने सत्ता पाने के लिए जो भी वादे किये थे उनमें से किसी भी वादे पर वह खरी नहीं उतरी।

प्रदेश का किसान, नौजवान, मजदूर तथा व्यापारी वर्ग सभी अपने को ठगा महसूस कर रहे है यह सरकार न तो मंहगाई नियंत्रित कर पाई और न ही नौजवानों के लिए रोजगार का सृजन कर सकी। रोजगार सृजन तो दूर यह अभी तक भर्ती बोर्डो के अध्यक्ष तक नामित नहीं कर पायी है। सबका साथ और सबका विकास का नारा देने वाली सरकार के राज में केवल कानून बचा है व्यवस्था समाप्त हो चुकी है। अब वह सीधे तौर पर दलित पिछड़ों के खिलाफ काम करती नज़र आ रही है।

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