रिहाई मंच ने संघ प्रचारक और देश के विभिन्न हिस्सों में हुई आतंकी वारदातों के आरोपी सुनील जोशी हत्याकांड में साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को बरी करते हुए अदालत की यह टिप्पणी कि पुलिस और एनआईए दोनों ने किसी पूर्वाग्रह या अज्ञात कारणों से प्रकरण में लचर ढंग से कार्रवाई की।
- इतने कमजोर साक्ष्य प्रस्तुत किए जो आरोपियों को दोषी सिद्ध करने के लिए अपर्याप्त थे ने साबित कर दिया है कि जांच एजेंसीयां मोदी सरकार के दबाव में हिंदुत्ववादी आंतकियों को बचा रही हैं।
- मंच ने अंदेशा व्यक्त किया है कि साध्वी प्रज्ञा जैसे खतरनाक आतंकियों के बरी होने से हिंदुत्ववादी आतंकियों के हौसले बुलंद होंगे और वो देश के विभिन्न हिस्सों में आतंकी वारदातें कर सकते हैं।
एनआईए देवास की जिला अदालत में कराई जांच
- रिहाई मंच द्वारा जारी बयान में मंच के अध्यक्ष एडवोकेट मुहम्मद शुऐब ने कहा कि 2014 में जब इस मामले को एनआईए ने इस तर्क के आधार पर देवास के जिला अदालत में ट्रांसफर कर दिया था।
- कि ये मामला आतंकवाद से नहीं जुड़ा है बल्कि साधारण हत्या का मामला है तभी यह साफ हो गया था।
- कि एनआईए साध्वी प्रज्ञा और संघ से जुड़े सात अन्य आरोपियों को इस मामले में बचाने की फिराक में है।
- मंच के अध्यक्ष ने कहा कि जब सुनील जोशी साध्वी प्रज्ञा के साथ ही अजमेर, समझौता एक्सप्रेस,
- मालेगांव में हुए आतंकी हमलों में शामिल था और उसकी हत्या भी साध्वी प्रज्ञा द्वारा उसके घर से विस्फोटकों भरा सूटकेस लेने के बाद हुई।
- जिसका इस्तेमाल इन आतंकी हमलों में किया गया तब सुनील जोशी की हत्या सामान्य हत्या कैसे कही जा सकती है।
- जिसके आधार पर एनआईए ने उसे देवास की जिला अदालत में उसे ट्रांसफर करा दिया।
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