गाजीपुर में कांस्टेबल की हत्या को रिहाई मंच ने योगी सरकार की ध्वस्त कानून व्यवस्था का परिणाम बताया। मंच ने कहा कि योगी राज में योगेश राज जैसों को प्रश्रय देना और भीड़ द्वारा की जा रही हिंसा को योगी द्वारा झुठलाने की वजह से अराजकता का माहौल व्याप्त हो गया है।
एडीजी वाराणसी द्वारा गाजीपुर घटना में निषाद पार्टी का नाम लिये जाने पर रिहाई मंच नेता मसीहुद्दीन संजरी ने पूछा कि बुलंदशहर में इंस्पेक्टर सुबोध की हत्या के बाद बजरंग दल-विहिप जैसे संगठनों का नाम न लेने वाली पुलिस में यह हिम्मत कहां से आई। साफ जाहिर है कि पुलिस संघी जेहनियत वाले संगठनों पर कार्रवाई तो दूर उनका नाम लेने तक की हिम्मत नहीं जुटा पा रही चाहे उसमें उनका इंस्पेक्टर ही क्यों न मार दिया जाए। गाजीपुर में रासुका के तहत कार्रवाई करने की बात करने वाली यूपी पुलिस बताए कि गाय के नाम पर उनके इस्पेक्टर की हत्या करना क्या राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा नहीं है।
रिहाई मंच नेता शकील कुरैशी ने कहा कि बुलंदशहर मामले में बजरंग दल के योगेश राज, भाजयुमो के शिखर अग्रवाल और विहिप के उपेन्द्र राघव की अब तक गिरफ्तारी नहीं की गई। प्रशांत नट पर जिस तरह दोष मढ़ा जा रहा है वो साफ करता है कि योगी राज में योगेश राज जैसों के खिलाफ कार्रवाई से पुलिस खौफ खाती है। अगर बुलंदशहर घटना षडयंत्र थी तो षडयंत्रकर्ता के खिलाफ कार्रवाई से क्यों बच रही है। इसलिए कि आरोपी बजरंगदल-विहिप-भाजयुमो से जुड़े हैं।
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