बुधवार 16 नवम्बर से संसद का ‘शीतकालीन सत्र’ शुरू हो रहा है, इस सत्र के हंगामेदार होने के पूरे आसार हैं। सत्र शुरू होन से पहले ही राष्ट्रीय लोकदल ने नोटों पर प्रतिबंध लगाने के कारण होने वाली मौतों पर परिजनों को 20-20 लाख रूपया मआवजा देने का मांग रखी है। इसके साथ ही लोकदल ने किसानों, मजदूरों, खुदरा व्यापारियों और बीपीएल कार्ड धारकों को 31 दिसम्बर तक पुराने नोट के लेनदेन की छूट देने की मांग की है।
- आरएलडी नेता अनिल दूबे ने कहा, केन्द्र सरकार ने ऐसा तानाशाही फरमाज जारी करने से पहले इसके व्यावहारिक पहलू पर ध्यान ही नहीं दिया।
- पुराने नोट बंद करने से पहले सरकार को छोटे नोटों की पूरी व्यवस्था कर लेनी चाहिए थी।
- 500 और 1000 के पुराने नोट बंद कर देने के लाखों लोग भूखे और प्यासे हैं।
- बीमार लोगों को नोटबंदी के कारण चिकित्सीय सुविधा नहीं मिल पा रही है।
- लोगों के पास पैसा होने के बावजूद वे उसका इस्तेमाल नहीं कर पा रहें है।
- यदि सरकार पहले ही ध्यान देती तो छोटे व्यापरियों, पटरी दुकानदारों और मजदूरों को रोटी के संघर्ष ना करना पड़ता।
अव्यवस्था से निपटने में सरकारी तंत्र फेलः
- आरएलडी नेता ने कहा, पहले तो सरकार ने सिर्फ दो से तीन दिन समस्या की बात कही थी।
- लेकिन अब मोदी सरकार लोगों से 50 दिन का समय मांग रही है।
- नोट बंद होने के बाद उपजी अव्यवस्था से निपटने के लिए सरकारी तंत्र पूरी तरह से फेल है।
- अनिल ने कहा कि शादियों का सीजन शुरू हो चुका है।
- लेकिन सरकार के फैसले से लोगों को कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है।
- आरएलडी नेता ने सरकार के सामने एटीएम वैन चलाने की मांग रखी है।
- साथ ही सहकारी बैंकों, ग्रामीण बैंको और सभी डाकघरों में नोटों की उपलब्धता की मांग रखी है।
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