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कासगंज जाते समय रालोद नेताओं को अलीगढ़ में पुलिस ने रोका

कासंगज में हुयी शर्मनाक घटना के वास्तविक तथ्यों की जानकारी हेतु राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयन्त चौधरी के निर्देशानुसार एक प्रतिनिधि मण्डल को जाते हुये जनपद अलीगढ़ में ही स्थानीय पुलिस प्रशासन द्वारा रोका गया। जिसमें पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष एवं पूर्व विधायक डाॅ. अनिल चौधरी, पूर्व मंत्री योगराज सिंह, पूर्व विधायक भगवती प्रसाद सूर्यवंशी, पूर्व विधायक त्रिलोकीराम दिवाकर, पूर्व विधायक भगवती प्रसाद सूर्यवंशी, पूर्व विधायक गेंदालाल चौधरी, छात्रनेता जियाउर्रहमान, रामबहादुर चौधरी, धर्मवीर सिंह चौहान तथा अलीगढ़ एवं हाथरस के लगभग 50 रालोद नेता शामिल हैं। जिसकी भर्त्सना करते हुये राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष डाॅ. मसूद अहमद ने कहा है कि प्रदेश की वर्तमान योगी सरकार जानबूझकर प्रदेश में दंगा भड़काने का काम कर रही है और वास्तविक तथ्यों को छिपाकर साम्प्रदायिकता का रंग दिया जा रहा है।

डाॅ. अहमद ने कहा कि प्रदेश सरकार पुनः मुजफ्फरनगर की याद ताजी रखनी के लिए प्रदेश के कोने कोने में कुचक्र रच रही है और जनता का अमन चैन छीन रही है जोकि निदंनीय है। भारतीय जनता पार्टी ऐसी घटनाओं के माध्यम से जनता का ध्यान वास्तविक मुददों से हटाकर केवल वोटो का धुव्रीकरण की प्रक्रिया अपनाने की भावना रखती है। प्रदेश की जनता को इन भगवाधारी कुचक्रों से बच करके स्थानीय शान्ति बनाये रखने की आवस्यकता है ताकि किसी भी प्रकार की धन जन की हानि न हो और क्षेत्र के छोेटे छोटे नौनिहाल खुली हवा में सांस ले सके।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष एवं पूर्व विधायक डाॅ. अनिल चौधरी ने गिरफ्तारी के समय पत्रकार वार्ता करते हुये भाजपा सरकार कासंगज हिंसा के लिए दोषी है। भाजपा सांसद एटा राजू भइया पर एफआईआर दर्ज होनी चाहिए, क्योकि उन्हीं के भडकाऊ भाषण से हिंसा फैली है। स्थानीय प्रशासन भाजपा नेताओं को बचा रहा है। यह कहना कि अधिक सही की योगी राज में तानाशाही चल रही है।

रालोद प्रदेश अध्यक्ष ने कासंगंज की जनता से शान्ति एवं आपसी सहयोग बनाये रखने की अपील करते हुये कहा कि दंगा फैलाने अथवा भड़काने एवं झूठी अफवाहों को हवा देने वालों से सावधान रहने की आवश्यकता है। क्योंकि अन्ततो गत्वा इस प्रकार की सामाजिक अव्यवस्था का खामियाजा स्थानीय लोगों को ही भुगतना पड़ता है। प्रदेश की जनता को यह संकल्प लेने की आवश्यकता है कि ऐसे सामजिक विघटनकारी तत्वों की योजनाओं को सफल नहीं होने देना है ताकि सामाजिक समरसता यथावत बनी रहे।

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