भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज, भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी मंगलवार 10 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले में मौजूद थे। जहाँ भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने दीप जलाकर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। साथ ही उन्होंने कार्यक्रम में स्वीकृति पत्र भी वितरित किये गए। कार्यक्रम में योगी सरकार के अल्पसंख्यक मंत्री मोहसिन रजा और यूपी भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष महेंद्रनाथ पाण्डेय भी मौजूद थे। अमित शाह अमेठी के बाद सीतापुर जिले के लिए रवाना हो गए, जहाँ उन्होंने 51 जिला कार्यालयों का शिलान्यास किया। इसके साथ ही अमित शाह ने कार्यक्रम को संबोधित भी किया। सीतापुर के बाद अमित शाह राजधानी लखनऊ स्थित साइंटिफिक कन्वेंशन सेंटर पहुंचे थे, जहाँ उन्होंने आरएसएस के पुस्तक विमोचन कार्यक्रम(RSS book redemption program) में शिरकत की। कार्यक्रम में राज्यपाल राम नाईक, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और अमित शाह ने कार्यक्रम का संबोधन भी किया।
पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में संबोधन के मुख्य अंश(RSS book redemption program):
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ(RSS book redemption program):
- आरएसएस के पांचों सरसंघचालक राष्ट्र शरीर के पंच प्राण हैं।
- दुनिया मे कोई दूसरा ऐसा संगठन नही जो आरएसएस जैसा हो।
- आरएसएस ने हम सबको एक दृष्टि दी है।
- अतीत में झांके का अवसर मिल रहा हैं संघ के कफ्यक्रम में।
- 5 पूजनीय संघ चालकों के ऊपर लिखी किताब का विमोचन से संघ के बारे में जानकारी मिलेगी।
- संघ के भाव को समझना होगा।
- किताब के लोकार्पण से ये संभव होगा।
- संघ के सरसंघ चालक राष्ट्र के प्राण हैं।
- संघ एकलौता संगठन है जो राष्ट्रवाद की भावना आगे बढ़ा रहा है।
राज्यपाल राम नाईक(RSS book redemption program):
- खरीदकर पुस्तक पढ़ने की बात खास होती है।
- PM मोदी ने पुष्पगुच्छ की जगह फूल देने का आह्वान किया, उसे याद रखना चाहिए।
- संघ का 87 वर्षों का इतिहास इन किताबों के रूप में ताज़े तौर पर मिलेगा।
- दीवाली के लिए ये पुस्तकें सबसे बड़ा तोहफा।
- मेरे लिए बड़ा दिन है जब सरसंघ चालकों के जीवन पर लिखी किताब का विमोचन कर रहा हूँ।
अमित शाह(RSS book redemption program):
- मेरे लिए बड़ा दिन है जब सरसंघ चालकों के जीवन पर लिखी किताब का विमोचन कर रहा हूँ।
- 1925 से 2017 तक आरएसएस की यात्रा अनेक उतार चढ़ाव भरी रही।
- प्रतिबंधों और कठिनाइयों का सामना कर आरएसएस यहां तक पहुंचा।
- कई बार ऐसा लग की प्रकाश देने वाली ये ज्योति बुझ ना जाए।
- संघ अपने आप मे एक अनूठा संगठन।
- 1925 से लेकर 2017 तक संघ ने जितनी कठिनाई झेली उतना कोई संगठन नही।
- जब अपने की हिन्दू बताना हिम्मत का काम था तब आरएसएस ने कहा कि हिन्दू होने में गर्व है।
- आरएसएस कार्यकर्ताओं के समर्पण से चला, कभी चंदा नही जमा किया।