उत्तर प्रदेश शासन के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा एक्टिविस्ट डॉ. नूतन ठाकुर को दी गयी सूचना से यह सामने आया है कि 21 दिसंबर 2016 को राज्य फिल्म विकास परिषद् तथा फिल्म बंधू की 1 संयुक्त बैठक में 21 फिल्मों को रुपये 9.42 करोड़ का अनुदान देने का फैसला लिया गया, जिसके क्रम में राज्य सरकार ने यह अनुदान दिया।
इन फिल्मों में मसान को सबसे अधिक रुपये 2 करोड़ दिए गए जबकि 50 लाख रुपये से अधिक का अनुदान पंडित जी बताई न ब्याह कब होई-2 (82.51 लाख), राजा बाबू (72.52 लाख), वाह ताज (65.69 लाख), भूरी (63.90 लाख) तथा जिगरिया (54.04 लाख) को दिया गया। इसके अलावा डायरेक्ट इश्क (46.44 लाख), नहले पर दहला (44.01 लाख), अलिफ़ (43.48 लाख), थोडा लुत्फ़ थोडा इश्क (42.33 लाख), मिस टनकपुर हाज़िर हो (37.22 लाख) तथा मेरठिया गैंगस्टर्स (36.23 लाख) को भी अच्छा-ख़ासा अनुदान दिया गया। कम अनुदान पाने वाली फिल्मों में स्वदेश की खातिर (7.20 लाख) तथा हम हईं जोड़ी न 1 (4.34 लाख) शामिल हैं।
नोटशीट के अनुसार तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इन फिल्मों को तत्काल अनुदान देने के आदेश दिए थे। इसमें इतनी जल्दीबाज़ी थी कि मजाज-ए-गम-ए-दिल-क्या करूँ, इश्केरिया, तलब, हम हईं जोड़ी न 1, अलिफ़, आई एम नोट देवदास तथा स्वदेश की खातिर को फिल्म रिलीज़ होने के पहले ही अनुदान स्वीकृत कर उसका 30 प्रतिशत दे दिया गया। नूतन के अनुसार जिस प्रकार इन फिल्मों को ताबड़तोड़ अनुदान मिला, वह अपने आप में एक गहन जाँच का प्रश्न है।
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