अफसोस होता है जब देखते है कि वंदे मातरम् पर सियासत करने वाले नेता अपने ही देश का राष्ट्रीय गीत नही गा पाते। लेकिन 13 साल के रूद्र ने इस मुद्दे को बुनियाद से पकड़ा है। लोग जिस उम्र में फिल्मों के गाने गुनगुनाते है…मेरठ के रूद्र ने उस उम्र में राष्ट्रीय गीतों को सीखने का शौक पाता है। कहते है शौक बड़ी चीज है….

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इसलिए जब शौक बड़ा पाला तो रूद्र ने उसके लिए तैयारी भी कम नही की। रूद्र ने 18 देशों के राष्ट्रीय गीतों को दिल से याद कर रखा है और इन गीतों को सीखने के लिए उन्होने 12 भाषाएं मन की किताब पर उतार रखी है। कहानी यहीं खत्म होने वाली नही है …रूद्र प्रताप सिंह की ख्वाहिश है कि उनका यह कारनामा गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में शामिल हो…इसलिए लगातार कोशिशें कर रहें है।

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पायलट बनकर आसमान में पंछियों की तरह उड़ने का सपना बुनने वाले रूद्र ने इस अनोखे शौक की शुरूआत दो साल पहले की थी। घरवालों को पता ही नही था कि रूद्र के दिल में क्या चल रहा है। रूद्र अपनी छोटी बहन संयोगिया को तमाम देशों के नेशनल एन्थम गाकर सुनाते और कहीं कमी होती तो छोटी बहन टीचर की तरह भाई की काबलियत में सुधार करवाती। दोनो ने मोबाइल से ये गीत शूट करके यूट्यूब पर अपलोड किये तो देश-दुनियां से उन्हें तारीफे मिलने लगी। इसी बीच रूद्र की मां को बेटे की इस काबलियत के बारे में पता चला।

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