बूचड़खानों पर प्रतिबंध के बाद ‘टुंडे कबाब’ के बंद होने की अफवाह उड़ी!
- उत्तर प्रदेश में योगी सरकार की सख्ती का असर अवैध बूचड़खानों पर असर दिखने लगा है। बड़े (भैंसे) के मीट की सप्लाई में काफी गिरावट आई है।
- इसके चलते कारोबारियों को हल्का झटका लगा है।
- इस गिरावट के चलते प्रसिद्ध नॉनवेज दुकानें दिखावटी तौर पर बंद होने की अफवाह उड़ने लगी।
- चौक स्थित टुंडे कबाबी की दुकान जरा देर के लिए बंद हुई तो मीडिया ने उसे बड़ा मुद्दा बना दिया।
- वहीं, मशहूर इदरीस की बिरयानी की दुकान बंद होने की अफवाहें खूब वायरल हुईं।
- जिन मशहूर दुकानों को सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे संदेशो में बंद बताया जा रहा था हकीकत में वह खुली थीं।
- हालांकि इस संबंध में टुंडे कबाबी के ओनर उस्मान ने कहा कि कच्चे माल की कमी के कारण कारोबार में कुछ गिरावट आई है।
- उन्होंने बताया कि कुछ नॉनवेज के शौकीन ग्राहकों को लौटना भी पड़ रहा है।
- योगी के इस कदम की उन्होंने सराहना की है लेकिन उनका कहना है लाइसेंसधारी कारोबारियों को परेशान ना किया जाये अवैध कत्लखानों पर रोक लगाई जाये।
- उन्होंने कहा कि जब सप्लाई कम होगी तो डिमांड में समस्या तो आएगी ही।
- लेकिन अभी तक जो अवैध बूचड़खानों से कच्चा माल खरीदते थे वह अब सभी को वैध बूचड़खानों में से खरीदना होगा।
100 साल बाद पहली बार हुआ ऐसा
- टुंडे कबाबी के के उस्मान ने बताया कि बड़े के मांस की कमी के कारण जितना कच्चा माल चाहिए उतना जरूरत के मुताबिक मांस नहीं मिल रहा है।
- इसके कारण कारोबार में हल्की गिरावट आई है।
- उन्होंने कहा सप्लाई ना मिलने से अमीनाबाद वाली दुकान पर भी यही हाल है।
- उस्मान ने कहा कि हम कोशिश कर रहे हैं कि बाहर के किसी वैध स्लॉटर हाउस से मांस मंगाएं, क्योंकि लखनऊ में कोई वैध स्लॉटर हाउस नहीं है।
- उस्मान का कहना हैं कि चौक वाली दुकान 1905 में खुली थी।
- आज तक ऐसा नहीं हुआ कि माल की कमी के कारण दुकान पहली बार ऐसी परेशानी आई है।
- वहीं इदरीस बिरयानी कॉर्नर के ओनर अबूबकर ने बताया दोपहर तक भैंसे और बकरे का मीट नहीं मिला।
- बड़ी मुश्किल से दोपहर बाद माल मिल सका तब जाकर दुकान खोली इसके बाद ग्राहकों का आना शुरू हुआ।
- उन्होंने बताया आसपास की 10 से ज्यादा दुकानों को भी जितना माल चाहिए उतना माल नहीं मिल पा रहा है।
- जानकारों के मुताबिक राजधानी में रोजाना एक लाख किलो से ज्यादा मांस की खपत होती है।
- इसमें 58 फीसद भैंसे का होता है। इसके बाद चिकन और मटन का नंबर आता है।
- अब दुकानदार चिकन का भी कबाब बेच रहे हैं।
- उस्मान के मुताबिक शासन की कार्रवाई से 50 फीसदी तक सप्लाई कम हो गई है, जिससे कारोबार में घाटा हो रहा है।