संतों ने मंदिर निर्माण को लेकर केंद्र और प्रदेश सरकार पर साधा अपना निशाना
एक बार फिर लोकसभा चुनाव के नजदीक आने व कुम्भ के चल रहे मेले को लेकर राम मंदिर के निर्माण का मुद्दा एक बार फिर हाई लाइट होता नजर आ रहा है। जिसका सीधा असर इस बार के लोकसभा चुनाव में अवश्य पड़ेगा। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण पर संघ के सर कार्यवाह सुरेश भैया जोशी के बयान और विहिप का मंदिर निर्माण के लिए संतों पर पूरी तरह आश्रित होने से कुंभ नगरी के महौल में गर्मी आ गई है। संतों ने मंदिर को लेकर अपना निशाना केंद्र और प्रदेश सरकार पर साधा है। संतों का कहना है कि एक राजनीतिक पार्टी के रूप में भाजपा ने राम मंदिर निर्माण को अपने एजेंडे में शामिल किया है। शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के उत्तराधिकारी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का कहना है कि भाजपा हमेशा कहती आई है कि रामलला हम आएंगे।
- भाजपा का नारा रहा है कि ‘रामलला हम आएंगे वहीं बनाएंगे मंदिर।
- इसके बावजूद केंद्र सरकार बचने की कर रही है कोशिश।
- इसका सीधा सा मतलब है, भाजपा सत्ता में आने की बात कर रही थी, जो अब आ चुकी है।
- इसलिए उसकी जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है।
- उन्होंने संघ के सर कार्यवाह भैयाजी जोशी के 2025 तक मंदिर बन जाने के बयान पर भी नाराजगी जाहिर किया।
- कहा कि संघ देश की आस्था के साथ खिलवाड़ कर रहा है।
- वह मंदिर निर्माण की तिथि बताने के बजाए उसके बनकर तैयार होने जाने का साल घोषित कर रहा है।
- इससे साफ है कि संघ दबाव में है और वह बचने के लिए बहाने तलाश रहा है।
देश के करोड़ों श्रद्धालुओं और संतों की है राम और राम का मंदिर निर्माण की जिम्मेदारी
शंकराचार्य अधोक्षजानंद सरस्वती ने कहा कि राम और राम का मंदिर निर्माण यह किसी सरकार और न्यायालय का काम नहीं है। यह देश के करोड़ों श्रद्धालुओं और संतों की जिम्मेदारी है। संत और श्रद्धालु मिलकर यह फैसला लेंगे और इसी कुंभ में लेंगे। उन्होंने कहा कि विश्व हिंदू परिषद को इस मामले में हताश और निराश होने के बजाए उसे केंद्र सरकार पर दबाव डालना चाहिए। जिससे मंदिर निर्माण की दिशा तय हो सके। शंकराचार्य नरेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि मंदिर निर्माण में सरकार और देश की दूसरी बड़ी जिम्मेदार संस्थाएं हीलाहवाली कर रही है। यह करोड़ों श्रद्धालुओं के साथ बेईमानी है।
- उन्होंने कहा कि मंदिर देश की आस्था से है जुड़ा मामला।
- इसे राष्ट्रपति को अपने स्व विवेक के आधार पर करना चाहिए तय।
- वह देश की सर्वोच्च संस्था के हैं प्रमुख।
- उन्होंने मांग किया कि मंदिर क्षेत्र की जिस जमीन को पूर्व की केंंद्र सरकार ने किया था अधिग्रहीत।
- उसमें से विवादित हिस्सा छोड़कर बाकी जमीन को मंदिर कर देना चाहिए ट्रस्ट के हवाले।
- श्रद्धालु स्वयं कर लेंगे मंदिर का निर्माण।
राम मंदिर का निर्माण कब होगा, इसका फैसला इसी कुंभ में होना चाहिए: जगदगुरु स्वामी रामभद्राचार्य
शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती के शिष्य स्वामी निर्विकल्पानंद ने कहा कि इस मसले में शंकराचार्य कुंभ क्षेत्र में पहुंचने पर अपनी प्रतिक्रिया देंगे। निश्चलानंद 23 जनवरी को यहां सेक्टर 15 स्थित अपने शिविर में पहुंचेंगे। जगदगुरु स्वामी रामभद्राचार्य का कहना है कि राम मंदिर का निर्माण कब होगा, इसका फैसला इसी कुंभ में होगा। 31 जनवरी और एक फरवरी को यहां होने वाली धर्म संसद में मेरे साथ बहुत से संत उपस्थित होकर इसका फैसला लेंगे। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण कब शुरू होगा इसकी तारीख भी धर्म संसद में तय की जाएगी। मैंने तो इस मामले में अपना पक्ष भी न्यायालय को दिया है कि वहां पर पर मंदिर था जिसे अकबर ने ध्वस्त कराकर मस्जिद बनवा दिया। इसका जिक्र तुलसी शतक में भी तुलसीदास ने विस्तार से किया है।
रिपोर्ट:- संजीत सिंह सनी
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