झाँसी से इसे लोकसभा 2019 चुनाव के लिए उतार सकती है समाजवादी पार्टी
लोकसभा चुनाव 2019 के लिए उत्तर प्रदेश में गठबंधन करने वाले समाजवादी पार्टी तथा बहुजन समाज पार्टी के बीच आज सीटों का बंटवारा हो गया है। दोनों पार्टी मिलकर 75 सीट पर चुनाव लड़ेंगी। बहुजन समाज पार्टी 38 पर तथा समाजवादी पार्टी 37 सीट पर चुनाव लड़ेगी। बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती तथा समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव की सहमति के बाद दोनों पार्टियों ने अपनी सीट की घोषणा की थी।
- सपा-बसपा गठबंधन के बाद समाजवादी पार्टी में टिकट को लेकर घमासान होता दिख रहा है।
- हर बड़ा नेता झाँसी-ललितपुर संसदीय सीट पर टिकट चाहता है।
- वह पूर्व सांसद हो, पूर्व विधायक हो या फिर अन्य कोई वर्तमान अथवा पूर्व जनप्रतिनिधि।
- इनके साथ ही संगठन के कुछ नेता भी इसी सीट पर अपनी दावेदारी ठोंक रहे हैं।
झाँसी सीट है बुंदेलखंड की सबसे महत्वपूर्ण सीट
जहाँ एक तरफ सभी को इस गठबंधन से काफी उम्मीदें हैं। विशेष कर पिछड़ों और दलितों को एक नई संजीवनी देता दिख रहा है ये गठबंधन। व्ही गौरत की जाये अगर सीट पर तो झाँसी सीट बुंदेलखंड की सबसे महत्वपूर्ण सीट मानी जाती है। इसलिए यहां से ही बुंदेलखंड की राजनैतिक धुरी चलती है। संभवत: अगले माह तक टिकट घोषित कर प्रत्याशी सामने उतार दिए जाएं, मगर किसके नाम पर लाटरी खुलेगी, यह कोई नहीं जानता। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बसपा के बीच गठबंधन बस हो चूका है।
- संसदीय सीटों का बंटवारा फिलहाल तो नहीं हुआ, मगर जल्द इस पर अंतिम निर्णय हो जाएगा।
- अभी इस गठबंधन में अन्य दलों के भी शामिल होने की उम्मीद है।
- देखना यह है कि बुंदेलखंड की चारों सीटों पर कभी बसपा, तो सपा ने परचम फहराया है।
- इसलिए दोनों दल इन सीटों पर अधिक से अधिक अपने प्रत्याशियों को लाने का प्रयास करेंगे।
- बुंदेलखंड में झांसी-ललितपुर संसदीय क्षेत्र सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है।
- पूरे बुंदेलखंड की राजनीति इसी सीट के इर्द-गिर्द घूमती है।
झाँसी के लिए डॉ.चंद्रपाल सिंह यादव की दावेदारी सबसे सशक्त व मजबूत
सपा के सभी वरिष्ठ नेता इस सीट पर टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। राज्यसभा सांसद डॉ.चंद्रपाल सिंह यादव की दावेदारी सबसे सशक्त है। वह पहले भी यहां से सांसद रह चुके हैं। उनके बाद नंबर आता है युवाओं के चहेते और गरौठा के पूर्व विधायक दीपनारायण सिंह यादव का। इनकी लोकप्रियता भी झाँसी और ललितपुर में चरम पर है और समर्थकों में इनका एक अलग ही क्रेज है।
- वहीं, पूर्व एमएलसी श्यामसुंदर भी ग्रामीण हलकों में अपनी पकड़ के चलते दावेदारों की कतार में प्रमुखता के साथ खड़े हैं।
- वर्तमान एमएलसी रमा निरंजन के पति आरपी निरंजन भी गुपचुप तरीके से अपनी गोट बैठा रहे हैं।
- उन्हें यादव, पिछड़ों के साथ-साथ अपनी पटेल जाति के वोटों का सहारा भी है।
- जिन पर उनकी खासी पकड़ है।
सीट पाने की चाहता रखने वालो की लिस्ट में है ये भी
वहीं लोहिया वाहिनी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष राकेश पाल भी टिकट की मांग को लेकर मैदान में डटे हैं। जो पाल समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के साथ ही अपनी जाति के वोट बैंक पर जमीनी पकड़ भी रखते हैं। इसके साथ ही पूर्व जिलाध्यक्ष संत सिंह सेरसा, वर्तमान जिलाध्यक्ष छत्रपाल सिंह, ललितपुर के चंद्रभूषण सिंह बुंदेला उर्फ गुड्डुू राजा का नाम भी दौड़ में शामिल है। इन सबसे अलग एक नाम और सामने आ रहा है। वह है राज्यसभा सांसद डॉ.चंद्रपाल सिंह यादव के पुत्र व बबीना विधानसभा के पूर्व प्रत्याशी यशपाल सिंह यादव का।
सपा की लीक से हटकर अपनी अलग छवि जनता के बीच परोसी
- युवाओं में अपनी सरल और सौम्य एवं मिलनसार छवि बना चुके यशपाल ने जमीनी कार्यकर्ता से लेकर आलाकमान तक खुद को साबित करके दिखाया है।
- चुनाव हारने के बाद भी वह लगातार क्षेत्र की जनता के बीच बने रहे और अपनी उपस्थिति उनके सुख-दुख में दर्ज करा रहे हैं।
- ऐसे में उन्होंने समाजवादी पार्टी की लीक से हटकर अपनी अलग छवि जनता के बीच परोसी है।
- उच्च शिक्षित एवं व्यापारिक संपन्नता के साथ लोकसभा चुनाव में यदि वे अपनी धमाकेदार उपस्थिति दर्ज करा दें तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।
रिपोर्ट- संजीत सिंह सनी
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