सपा संभल से इसे लड़ा सकती है लोकसभा 2019 का चुनाव
लोकसभा चुनाव नजदीक आते-आते राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। इसी के तहत उत्तर प्रदेश की मुख्य स्थानीय पार्टी सपा ने भी अपनी मौजूदा कब्जे वाली सीटों पर फोेकस शुरु कर दिया है। वही अगर सूत्रों की माने तो इस समय जिन सीटों पर सपा का कब्जा है उनमें से कुछ सीटों को छोड़कर बाकी पर मौजूदा सांसद ही चुनाव लड़ेंगे। सपा के वरिष्ठ नेता व राज्यसभा सांसद प्रो. रामगोपाल यादव का संभल से चुवाव लड़ना लगभग तय है। वे इसकी मंच से घोषणा भी कर चुके हैं। आपको बता दें कि रामगोपाल यादव 2004 में संभल लोकसभा क्षेत्र से सांसद रह चुके हैं।
- 2009 के लोकसभा चुनाव में सपा ने यहां से कई बार के सांसद डॉ. शफीकुर्ररहमान बर्क को चुनाव लड़ाया था, जो विजयी रहे थे।
- 2014 के लोकसभा चुनाव में बर्क को मोदी लहर में भाजपा के सत्यपाल सैनी से हार का सामना करना पड़ा था।
- अब 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा ने अपने वरिष्ठ नेता व राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव को मैदान में उतारने का कर सकती है ऐलान।
समाजवादी पार्टी की तरफ से रामगोपाल यादव ही है सम्भल से प्रबल दावेदार
अपनी वफादारी हाईकमान के प्रति दिखाते हुए अपने महत्वाकांक्षी उद्देश्यों की पूर्ति के लिए सपा के वरिष्ठ नेता एवं राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव जी का लोकसभा चुनाव 2019 के लिए संभल से ही चुनाव लड़ने की चर्चा बनी हुई है। उसके बाद से पार्टी के दूसरे दावेदार अपना पक्ष रखने से बचने लगे है। वर्तमान परिस्थितियों में जातीय समीकरण और गठबंधन की संभावनाओं के आधार पर लोकसभा संभल से लोकसभा चुनाव में किंतु परंतु के साथ कई संभावनाएं मौजूद है। 18 लाख मतदाताओं वाली इस लोकसभा क्षेत्र में 8.50 लाख मुस्लिम और 9.50 लाख हिंदुओं में 2.75 लाख अनुसूचित जाति,1.50 लाख यादव तथा 5.25 लाख अन्य पिछड़ा व सामान्य वर्ग के मतदाताओं में यूं तो समीकरण के एतबार से सपा बसपा गठबंधन की एकतरफा जीत के आसार नजर आते हैं।
- परंतु किसी भी चुनाव के समीकरण और संभावनाएं आखिरी वक्त तक बदलने के हालात हर वक्त रहते हैं।
- ऐसे में गठबंधन व समस्त पार्टियों के प्रत्याशियों का ऐलान जब तक नहीं हो जाए तब तक अंदाजे और क़यास बदलते रहेंगे।
- फिर भी इस क्षेत्र के समीकरणों पर सबसे ज्यादा प्रभाव सपा-बसपा का गठबंधन होने से पड़ेगा।
- उसके बाद किस किस पार्टी का प्रत्याशी मुस्लिम होगा इसका पड़ेगा।
कांग्रेस किसी स्थानीय मुस्लिम उम्मीदवार को बागी बनाकर प्रत्याशी के रूप में उतारने का करेगी प्रयास
कांग्रेस सपा से टिकट मांग रहे किसी भी स्थानीय मजबूत मुस्लिम उम्मीदवार को बागी बनाकर प्रत्याशी के रूप में उतारने का प्रयास करेगी और सपा द्वारा मुस्लिमों की उपेक्षा का मुद्दा उभारकर खुद को मुख्य लड़ाई में शामिल करने की स्थिति में होगी। अब तक जिन प्रमुख प्रत्याशियों की संभल से चुनाव लड़ने की चर्चा है।
- उनमें मौजूदा MP सतपाल सैनी को 2014 जैसी मोदी लहर ना होने,
- सपा के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव को जिला मुख्यालय के मुद्दे पर संभल में विरोध
- व 8.50 लाख मुस्लिम वोटों की उपेक्षा,
- डॉक्टर शफीकुर्रहमान वर्क को बुजुर्गी और गैर तुर्क मुस्लिमों का विरोध,
- जावेद अली खां को पार्टी विधायकों के विरोधियों की पुश्त पनाही करने,
- नवाब इकबाल महमूद साहब को संभल की गुटबंदी,
- हाजी रिजवान साहब को सजातीय मतों का विधानसभा चुनाव में भाजपा को वोट दे देना जैसे कारणों का नुकसान संभावित है।
रिपोर्ट- संजीत सिंह सनी
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