यूपी चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी में जो घमासान मचा हुआ था वो भीतर ही भीतर आज भी जारी है, बस उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव के दौरान समाजवादी पार्टी का झगड़ा शीत युद्ध की स्थिति में पहुँच गया था। वहीँ सूबे के विधानसभा चुनाव परिणाम 11 मार्च को आ रहे हैं। जिसके बाद समाजवादी पार्टी की अंदरूनी कलह से उत्तर प्रदेश एक बार फिर से रूबरू हो सकता है।
समाजवादी पार्टी की अंदरूनी कलह के एक बार फिर मुखर होने की वजहें:
राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद:
- सपा और अखिलेश यादव के लिए मौजूदा सबसे बड़ा झगड़े का विषय राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद है।
- जिसे लेकर मुलायम सिंह यादव अखिलेश से कदर नाराज हैं कि, शिवपाल-अपर्णा को छोड़ उन्होंने किसी प्रत्याशी के लिए प्रचार नहीं किया।
- सूत्रों की मानें तो मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव के बीच बातचीत काफी लम्बे समय से बंद है।
- जिसका जिक्र मुलायम सिंह खुद ही पार्टी ऑफिस में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए बोल चुके हैं।
- हालाँकि, अखिलेश खुद ये कह चुके हैं कि राष्ट्रीय अध्यक्ष वो सिर्फ चुनाव तक के लिए हैं।
- लेकिन इस बार में कितनी सच्चाई है ये तो सिर्फ यादव परिवार ही बता सकता है।
- क्योंकि, इतना सब कुछ हो जाने के बाद भी सभी यही कहते हैं कि, ‘पार्टी-परिवार में सब ठीक है’।
साधना यादव के बयान:
- सपा में यदि एक बार फिर से घमासान मचता है तो साधना यादव के बयान एक प्रमुख कारक साबित हो सकते हैं।
- साधना यादव मुलायम सिंह यादव की दूसरी पत्नी हैं,
- जिन्होंने तमाम अटकलों के बाद चुनाव के आखिरी समय में मीडिया से बात की।
- इस दौरान उन्होंने खुद पर लगे आरोपों को निराधार बताया,
- साथ ही शिवपाल सिंह यादव की पैरवी भी उन्होंने की थी।
- अखिलेश यादव साधना यादव को कुछ ख़ास पसंद नहीं करते हैं,
- हालाँकि उनके बयानों पर अभी तक अखिलेश ने कोई प्रतिक्रिया दी है।
- साधना यादव ने यह भी कहा था कि, वो प्रतीक को सक्रिय राजनीति में देखना चाहती हैं।
- यह बात अखिलेश यादव के कानों में चुभ सकती है।
- अखिलेश यादव ने खुद बड़ी मुश्किल से पार्टी पर एकाधिकार स्थापित किया है।
- वहीँ प्रतीक के आ जाने से मुलायम सिंह के लिए ही सही अखिलेश को अपनी सियासत की विरासत को बांटना पड़ेगा।
- वहीँ साधना यादव ने ये भी कहा था कि, उन्हें भी अब वो पॉवर चाहिए जिसके लिए उनपर फूट के आरोप लगे थे।
शिवपाल सिंह यादव की ख़ामोशी:
- अखिलेश यादव के लिए सबसे बड़ी चिंता का विषय उनके चाचा शिवपाल सिंह यादव हो सकते हैं।
- जिन्होंने फिलहाल तो चुनाव के दौरान ख़ामोशी अख्तियार की हुई है।
- वे अपने विधानसभा क्षेत्र में हैं और चुनाव की तैयारियों में जुटे हुए हैं।
- लेकिन अखिलेश यादव ने मुलायम के साथ ही जो शिवपाल के साथ किया, वे उससे काफी आहत हैं।
- उनके आहत होने का अंदाजा ऐसे लगाइए कि, बीच चुनाव में उन्होंने 11 मार्च के बाद नई पार्टी बनाने की बात कह दी।
- हालाँकि, बाद में उन्होंने इस बात को संभाल लिया।
- लेकिन जिस तरह से शिवपाल सिंह यादव को अपमानित किया गया और पार्टी में उनके कद को कम किया गया।
- यकीनन शिवपाल सिंह यादव चुनाव बाद कहानी को नया मोड़ दे सकते हैं।
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