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1 जनवरी को हुए अधिवेशन के बाद समाजवादी पार्टी में दो फाड़ होता दिखने लगा था. अखिलेश यादव ने अपने पिता हो राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटाकर खुद ही इस पद पर कब्ज़ा जमा लिया था. प्रदेश अध्यक्ष पद से शिवपाल की बर्खास्तगी के बाद अपने नुमाइंदे नरेश उत्तम को कमान सौंप दी. अखिलेश के इस फैसले के पीछे रामगोपाल यादव का दिमाग और विधायकों का समर्थन था.
ये है सुलह का फार्मूला:
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मुलायम सिंह यादव का आदर हर कोई करता दिख रहा है लेकिन समर्थन अखिलेश यादव के साथ है. ऐसे में मुलायम-शिवपाल और अखिलेश बीच बैठक के बाद भी सुलह नहीं हो पायी थी. लेकिन इलेक्शन की घोषणा के साथ ही सुलह को लेकर उम्मीद जगी. आज मुलायम सिंह के आवास पर सुबह हुई मीटिंग के बाद मुलायम सिंह यादव और शिवपाल दिल्ली रवाना हो गए. अमर सिंह के आवास पर घंटों चली मीटिंग के बाद अब मुलायम सिंह यादव शिवपाल के साथ लखनऊ लौट सकते हैं.
लेकिन इस बीच सूत्रों के अनुसार खबर है कि अमर सिंह और शिवपाल ने पार्टी छोड़ने की पेशकश की थी जिसे मुलायम सिंह यादव ने ठुकरा दिया. मुलायम भी शिवपाल को प्रदेश अध्यक्ष के रूप में देखना चाहते हैं. अखिलेश यादव की कुछ शर्तों में एक शर्त ये भी थी कि अमर सिंह को पार्टी से बाहर कर दिया जाए. साथ ही संगठन में टिकट बंटवारे का अधिकार मिले तो वो अखिलेश राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद छोड़ने के लिए भी तैयार हैं.
अब सूत्रों के हवाले से ये खबर आ रही है कि अखिलेश यादव पार्टी से जुड़ा हर फैसला लेंगे. मुलायम सिंह यादव लखनऊ के लिए निकल चुके हैं. अब देखना दिलचस्प होगा कि सुलह पर अंतिम मुहर लगाने की पहल कौन करता है. अखिलेश खेमे से भी ये ख़बरें हैं कि सुलह का फार्मूला तय हो गया है और अब कुछ ही देर में पार्टी में सबकुछ ठीक-ठाक हो जायेगा.
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