कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव को समाजवादी पार्टी का प्रदेश प्रभारी बनाने के साथ ही सपा के कुनबे में उठापठक का दौर तेज हो गया है। समाजवादी पार्टी कई जिलों के संगठनात्मक ढांचे में व्यापक बदलाव कर सकती है।
प्रदेश में कई जिला कमेटियां गुटबाजी और निष्क्रियता के चलते बंद की जा सकती हैं। जिन जिलों के जिलाध्यक्षों को आगामी विधानसभा चुनावों के लिए टिकट दिए गए हैं उन्हें पार्टी संगठन के पद से हटाया जा सकता है। और ब्लाक पंचायत और जिला पंचायत अध्यक्षों के चुनाव में जहां से बगावत के शुर उठे थे, वहां कार्यवाही तय मानी जा रही है।
सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव लगातार सार्वजनिक मंचों से ऐसे नेताओं को आगाह करते रहें हैं। पार्टी के अधिकांश जिलाध्यक्ष, मंत्री और विधायकों के प्रभाव में हैं। ऐसे में उन्हे संगठन से बाहर किया जाएगा। जबकि कुछ सीटों पर जिला अध्यक्षों को विस चुनाव के लिए प्रत्याशी घोषित किया गया है। उनके स्थान पर किसी दूसरे नेता को जिलाध्यक्ष की बागडोर दी जा सकती है।
इससे पहले पार्टी हाईकमान के सामने वाराणसी, गाजीपुर, जौनपुर और रायबरेली समेत कई जिलों से गुटबाजी की शिकायतें आती रहीं हैं। वाराणसी में जिले के नेताओं के एक गुट ने वहां से राज्यमंत्री सुरेन्द्र पटेल के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए धरना प्रदर्शन भी किया था। पार्टी हाईकमान ऐसे लोगों को कड़ा सन्देश देने के लिए बड़े फैसले कर सकती है।