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उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी में नए साल की शुरुआत पर ही एक बड़ा बदलाव देखने को मिला, जब मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को अपने पिता और समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह यादव की जगह पर राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया गया था, जिसके बाद समाजवादी पार्टी में दो धड़ बन गए थे। इतना ही नहीं सपा प्रमुख ने इस अधिवेशन को असंवैधानिक बताया था।
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अगले पेज पर जानें उन वजहों को जिनसे अखिलेश यादव का पक्ष काफी मजबूत है:
सपा प्रमुख के दावे से इतर मुख्यमंत्री अखिलेश के पक्ष में कुछ ऐसी वजह हैं कि, जिससे अखिलेश यादव का कद पार्टी में काफी बड़ा हो गया है।
प्रतिनिधि सभा बनी मजबूरी:
- मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को 1 जनवरी के अधिवेशन में सपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया था।
- जिसके बाद इस फैसले से अखिलेश खेमा काफी खुश हो गया था।
- वहीँ चुनाव की तारीख की घोषणा के बाद से ही सपा में लगातार सुलह की कोशिश जारी है।
- सूत्रों के अनुसार, सपा प्रमुख और सीएम अखिलेश यादव के बीच चली मैराथन बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष पद छोड़ने की बात हुई थी।
- जिसके बाद ही पार्टी में सुलह की जा सकती है, ज्ञात हो कि, नाम और निशान के लिए दोनों खेमे पहले ही चुनाव आयोग दावा ठोकने पहुँच चुके हैं।
- लेकिन मुख्यमंत्री अखिलेश अभी चाहकर भी राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद नहीं छोड़ सकते हैं।
- जिसकी सबसे प्रमुख वजह ‘प्रतिनिधि सभा मंडल’ है।
सर्वे में सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री अखिलेश:
- मुख्यमंत्री अखिलेश अब चाहकर भी सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष से मुक्त नहीं हो सकते हैं।
- अखिलेश यादव की सबसे बड़ी मजबूरी प्रतिनिधि सभा मंडल है।
- गौरतलब है कि, राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर तैनाती और निष्कासन प्रतिनिधि सभा ही करती है।
- प्रतिनिधि सभा के करीब 5000 से अधिक सदस्य मुख्यमंत्री अखिलेश के पक्ष में हैं, जो उन्हें पद नहीं छोड़ने देंगे।
- इसके अलावा सूबे की जनता में किये गए सर्वे के मुताबिक, अखिलेश यादव मुख्यमंत्री पद के सबसे प्रबल दावेदार में से एक हैं।
- सर्वे के मुताबिक, किसी अन्य पार्टी के मुख्यमंत्री उम्मीदवार इस दौड़ में अखिलेश यादव से काफी पीछे नजर आ रहे हैं।
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