2019 के लोकसभा चुनावों की समाजवादी पार्टी ने तैयारी शुरू कर दी है। सपा ने बसपा के साथ गठबंधन कर मोदी लहर को रोकने की तैयारी कर ली है लेकिन इसके पहले उसके लिए पार्टी के अन्दर चल रही गुटबाजी से पार पाना एक बड़ी चुनौती होगा। ऐसे में समाजवादी पार्टी ने लोकसभा चुनावों में गुटबाजी समाप्त करने के लिए नया दांव आजमाने की तैयारी कर ली है। समाजवादी पार्टी का हाईकमान यूपी के फर्रुखाबाद जिले से पिछड़ी जाति के ही किसी गैर यादव प्रत्याशी को चुनाव में उतार सकती है। इनमें कई बड़े नेताओं का नाम चल रहा है।
पूर्व मंत्री के रिश्तेदार को मिल सकता है टिकट :
यूपी के फर्रुखाबाद जिले से कैबिनेट मंत्री के रिश्तेदार को समाजवादी पार्टी से प्रत्याशी बनाकर स्थानीय नेताओं में जारी शीत युद्ध को कम करने की कोशिश कर सकती है। फर्रुखाबाद में पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह यादव के पुत्र सचिन यादव और अलीगंज के पूर्व विधायक रामेश्वर सिंह यादव के पुत्र डॉ. सुबोध यादव के बीच लंब समय से गुटबाजी चल रही है। फर्रुखाबाद संसदीय सीट में अमृतपुर, भोजपुर, कायमगंज और फर्रुखाबाद विधानसभा के अलावा पड़ोसी जिले एटा की अलीगंज विधानसभा भी शामिल है। यहां करीब 13.33 लाख मतदाता है। इसमें सबसे ज्यादा पिछड़ी जाति के मतदाताओं की संख्या 4 लाख से ज्यादा है।
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पिछले चुनाव में जीती थी बीजेपी :
2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा के मुकेश राजपूत ने यहाँ से 4 लाख मतों से जीत हासिल की थी। सपा के रामेश्वर सिंह यादव 2.55 लाख वोट हासिल करके दूसरे स्थान पर रहे थे। वहीँ टिकट कटने से नाराज सपा के बागी पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह यादव के पुत्र सचिन यादव ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर 58 हजार मत हासिल किए थे। यहाँ पर अच्छी संख्या में पिछड़ी जाति के मतदाताओं के चलते सपा यादव प्रत्याशी उतारती रही है। सूत्रों के मुताबिक इस बार गुटबाजी समाप्त करने के लिए गैरयादव प्रत्याशी उतारा जा सकता है। पूर्व सांसद चंद्रभूषण सिंह मुन्नूबाबू, महेंद्र कटियार, सचिन यादव, डॉ. सुबोध यादव समेत सात नेताओं ने इस सीट से अपनी दावेदारी के लिए पार्टी हाईकमान से गुहार लगाई है।