शिवपाल सिंह यादव ने लोकसभा चुनावों के पहले आक्रामक तेवर दिखाते हुए समाजवादी सेक्युलर मोर्चा का निर्माण किया है। इसके साथ ही शिवपाल ने ऐलान किया है कि उनका सेक्युलर मोर्चा प्रदेश की सभी 80 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगा। शिवपाल के इस सेक्युलर मोर्चा बनाने से जहाँ अखिलेश यादव की मुश्किलें बढ़ गयी हैं तो वहीँ बीजेपी अंदर ही अंदर इससे काफी खुश है। सेक्युलर मोर्चे के रूप में बीजेपी को महागठबंधन की काट मिल गयी है। इसके अलावा इस सेक्युलर मोर्चे पर बीजेपी अपनी पैनी नजर बनाये हुए है।
शिवपाल और बीजेपी में हो सकता है समझौता :
समाजवादी पार्टी और शिवपाल यादव के समाजवादी सेकुलर मोर्चा की गतिविधियों को देखते हुए खबरें हैं कि शिवपाल यादव लोकसभा चुनावों में बीजेपी का साथ दे सकते हैं। सीएम योगी से भी उनके अच्छे संबंध हैं। इसके अलावा सियासी गलियारों में चर्चा है कि समाजवादी सेकुलर मोर्चा को भाजपा ने 5 सीटें देने का ऑफर दिया है। इसके अलावा शिवपाल यादव के सुपुत्र आदित्य यादव के पीसीएफ अध्यक्ष पद को भी सुरक्षित करने की बात कही जा रही है। इसके लिए बीजेपी के एक बड़े नेता के सचिव से इस मामले में बातचीत हो रही है। हालांकि आधिकारिक रूप से कोई भी इस पर बात करने से परहेज कर रहा है। ऐसे में इसकी पुष्टि कर पाना मुश्किल है लेकिन सियासी गलियायरों में ये खबरें तेजी से चल रही है।
[penci_blockquote style=”style-3″ align=”none” author=””]शिवपाल के सेक्युलर मोर्चा बनाने से अखिलेश यादव की मुश्किलें बढ़ गयी हैं [/penci_blockquote]
पिछड़ा वोटबैंक साधने के लिए चल सकती है दांव :
सियासी गलियारों में चर्चा है कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी पिछड़ा वोटबैंक साधने के लिए शिवपाल से समझौता कर सकती है। सूत्रों के अनुसार, सपा को कमजोर करने के लिए बीजेपी कई चौकाने वाले दांव खेल सकती है। इसके अलावा शिवपाल को राज्य सरकार में बड़ा मंत्रालय दिया जा सकता है। शिवपाल यादव एक बेहतर संगठनकर्ता हैं और सपा को मजबूत करने में उनका अहम योगदान रहा है। सपा की कमजोरी और मजबूती से शिवपाल यादव अच्छी तरह वाकिफ हैं।
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