उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से सटे जिलों के दो गांवों में दलित समुदाय डॉ. बी.आर. अम्बेडकर व भगवान गौतम बुद्ध की मूर्तियां लगा पाने में असफल है क्योंकि गांव के बाहर के शासक दल के प्रभावशाली लोग व प्रशासन के अधिकारी विरोध कर रहे हैं। सीतापुर जिले की बिस्वां तहसील के थानगांव थाना क्षेत्र के गांव गुमई मजरा ग्राम सभा रामीपुर गोड़वा व बाराबंकी जिले के देवा थाना क्षेत्र के सरसौंदी गांव में मूर्तियां लगाने हेतु जिला प्रशासन के माध्यम से शासन से अनुमति भी मांगी गई है किंतु अभी तक दोनों जगह कोई जवाब नहीं मिला है। दलित समुदाय द्वारा डॉ. बी.आर. अम्बेडकर व भगवान गौतम बुद्ध की मूर्तियां न लगा पाने पर आम आदमी पार्टी ने चिंता जाहिर करते हुए सरकार की कार्यशेली पर सवाल उठाये हैं और मुख्यमंत्री योगी से इस मसले पर जल्द कार्यवाही करने की मांग की है।
प्रदेश प्रवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि सीतापुर जिले के गांव गुमई के दलित निवासी गुलशन पुत्र बनवारी की निजी भूमि पर भगवान गौतम बुद्ध व डॉ. बाबासाहब भीमराव अम्बेडकर की मूर्तियां 24-25 सितम्बर, 2018 की रात को गांव के दलित समुदाय के लोगों ने रखीं तो दिन में पुलिस व उप जिलाधिकारी ने आकर मूर्तियां हटा दीं और मूर्तियां हटाने के बाद पुलिस ने 14 लोगों के खिलाफ फर्जी वारंट जारी कर लिया।
बाराबंकी जिले के देवा थाना क्षेत्र के सरसौंदी गांव में ग्राम सभा के अभिलेखों में 0.202 हेक्टेयर भूमि जिसका गाटा संख्या 312 है अम्बेडकर पार्क के नाम से दर्ज है। गांव वासी इस वर्ष अम्बेडकर जयन्ती के अवसर पर डॉ. अम्बेडकर की प्रतिमा लगाना चाह रहे। किंतु कार्यक्रम के ठीक पहले लेखपाल कमलेश शर्मा ने झूठी आख्या लगा दी कि उक्त भूमि का वाद बंदोबस्त चकबंदी अधिकारी के यहां चल रहा है जिसमें गांव के ही दो नागरिकों कबीर अहमद व प्रमोद चौहान को गवाह दिखाया गया है। चकबंदी कार्यालय से सम्पर्क करने पर यह बताया गया कि उक्त भूमि को लेकर उनके यहां कोई बाद लम्बित नहीं है। शिकायतकर्ता कन्हैया लाल एक ईंट भट्ठा मालिक हैं व ग्राम सभा के निवासी भी नहीं हैं।
उन्होंने मांग की है कि गांव गुमई, जिला सीतापुर में भगवान गौतम बुद्ध व डॉ. बाबासाहब भीमराव अम्बेडकर की मूर्तियों को गुलशन की भूमि पर वापस रखवाया जाए और निर्दोष लोगों के खिलाफ दर्ज मुकदमा वापस लिया जाए। इसी तरह गांव सरसौंदी जिला बाराबंकी में अम्बेडकर पार्क में डॉ. अम्बेडकर की मूर्ति लगवाई जाए और सरकार व्यवस्था बनाये कि इस तरह की घटनाओं की पुनरावर्ति किसी और गॉव में न हो।
प्रदेश प्रभारी एवं सांसद संजय सिंह ने इस मसले पर कहा कि योगी सरकार के राज में दलितों और अल्पसंख्यकों पर अत्याचार बढ़ा है, कासगंज में दलित दुल्हे को घोड़ी पर चढने नहीं दिया गया, सहारनपुर में सैंकड़ों की संख्या में दलितों को हिन्दू धर्म छोड़कर बौध धर्म अपनाना पड़ा है और अब इस सरकार में दलित अपनी ही जमीन पर बाबा साहब और गौतम बुद्ध की मूर्ति नहीं लगवा पा रहे हैं। सरकार के इशारे पर प्रशासन दलितों की मदद करने के बजाय उन पर झूठी FIR लिखवाकर उनको डराने, धमकाने का काम कर रहा है। ये बेहद दुर्भाग्य की बात है, वहीँ अल्पसंख्यकों को बीफ, गाय और लव-जेहाद के नाम पर लिंचिंग कराकर मौत के घाट उतारा जा रहा है। भाजपा की जाति-धर्म की राजनीति देश के लिय खतरनाक हो गई है। नफरत के सौदागरों को सत्ता से उखाड़ फेंकना जरूरी हो गया है।
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