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मेरठ पुलिस पर संजीव मित्तल के साथ सांठ-गांठ का आरोप

संजीव मित्तल केस

मेरठ में 25 करोड़ की पुरानी करेंसी अपने घर में रखने वाले बिल्डर (संजीव मित्तल केस) का इतिहास किसी फिल्मी कहानियों से जरा भी कम नहीं है। आठ साल पहले तक संजीव मित्तल मेरठ में लिफाफे का थोक दुकानदार था। उसने कई धंधों में हाथ आजमाया, लेकिन उसे सफलता नहीं मिली और जब उसे रियल स्टेट का चस्का लगा तो कुछ ही सालों में ही वह सैकड़ों करोड़ का मालिक यानी अरबपति बन गया। इसलिए लिफाफा दुकानदार से अरबपति बनाने की कहानी ने सभी को चौंका कर रख दिया था। वहीँ मामले में मेरठ जिले की पुलिस पर प्रॉपर्टी डीलर संजीव मित्तल को बचाने के आरोप लगने शुरू हो गए हैं।

अभी तक नहीं दर्ज हुआ संजीव मित्तल पर केस(संजीव मित्तल केस):

प्रदेश के मेरठ जिले की पुलिस पर ब्लैक मनी माफिया संजीव मित्तल को बचाने के आरोप लगने शुरू हो गए हैं, आरोप लगाये जाने की प्रमुख वजह यह है कि, जिला पुलिस ने अभी तक मामले में संजीव मित्तल पर केस दर्ज नहीं किया है, और न ही मामले में अभी तक FIR दर्ज की गयी है, गौरतलब है कि, ब्लैक मनी माफिया संजीव मित्तल के पास से 25 करोड़ की पुरानी करंसी मिली थी।

ज्ञात हो कि, ऐसे ही एक मामले में राजधानी लखनऊ में रविदास की गाड़ी से पुरानी करंसी बरामद हुई थी, जिसके बाद मामले में FIR भी दर्ज की गयी थी, लेकिन मेरठ पुलिस ने अभी मामले में न ही FIR दर्ज की है और न ही चार्जशीट दाखिल की है।

लिफाफा दुकानदार से बना अरबपति (संजीव मित्तल केस):

आपको बता दें कि करीब 20 साल पहले गाजियाबाद के एक छोटे से गाँव से आकर बिल्डर संजीव मित्तल (प्रॉपर्टी डीलर संजीव मित्तल) ने मेरठ के शारदा रोड पर कम्प्यूटर हार्डवेयर की दुकान की। वहीँ कुछ समय बाद बिजनेस पिट गया और घाटे में आये संजीव मित्तल ने थोक में लिफाफा बेचने का काम शुरू कर दिया।

आठ साल पहले लिफाफा बेच कर परिवार पाल रहे संजीव मित्तल की मुलाकात दिल्ली निवासी अपने एक पुराने दोस्त से हुई। दोस्त ने रियल स्टेट में एंट्री कराई, तो संजीव को फायदा होने लगा। फायदे के कारोबार में और ज्यादा फायदा कमाने के लिए संजीव मित्तल ने अपने पार्टनर्स की बेईमानी और विवादों की जमीनों की खरीदारी शुरू की।

मेरठ में सील हुआ आफिस(संजीव मित्तल केस):

बता दें कि सियासत औऱ नौकरशाही में अपनी पहुँच के बलबूते उसने कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ना शुरू की और दौलत के अंबार लगाने शुरू कर दिये, लेकिन 2013 में जब रिअल स्टेट पर बंदिशें शुरू हुई, तो उसे घाटा होने लगा। काली कमाई मिलने के बाद आयकर विभाग ने संजीव के कारोबार को अपनी तफ्तीश के दायरे में लेकर उसका मेरठ आफिस सील कर दिया है।

रियल स्टेट कारोबार में घाटा होने पर मित्तल ने नोटबंदी के बाद पुरानी करेंसी बदलवाने का धंधा शुरू किया। ये धंधा चोखा रहा और मित्तल ने इसे विदेशों में बैठे अपने एनआरआई दोस्तों तक पहुँचाया।

ये भी पढ़ें: और लिफाफा दुकानदार…देखते ही देखते बन गया अरबपति

ऐसे करता रहा काली कमाई(संजीव मित्तल केस):

सूत्रों की मानें तो, मित्तल ने नोटबंदी के बाद पॉच सौ से सात सौ करोड़ तक की काली रकम नये नोटों में बदलवाई और इस कमाई से उसे जो मुनाफा हुआ उसके बदले उसने अपने पुराने विवाद निपटाये। इसके बाद इसने सोनीपत में मेडीकल इन्स्ट्रूमेंट बनाने की फैक्ट्री बनाई और मेरठ, गाजियाबाद समेत देश के कई शहरों में रियल स्टेट प्रोजेक्ट्स शुरू कर दिये. नोटबंदी के बाबजूद उसकी कमाई बढ़ती जा रही थी और वह दिल खोलकर अपने परिवार और बच्चों के लिए सपनों के घर और करोड़ो के गिफ्ट बांट रहा था।

पुलिस ने 25 करोड़ की रकम बरामद की(संजीव मित्तल केस):

आपको बता दें कि, बिल्डर संजीव मित्तल के कोठी पर नजर रखने वालों की मानें तो छोटे ट्रकों में प्लास्टिक के बोरे कई दिन तक कोठी में उतरे और इन बोरों में रखी काली कमाई के पुराने नोट गत्ते के डिब्बों में रख दिये गये। इन डिब्बों को गिफ्ट बताकर कोठी के पास कालोनी में बने आफिस में शिफ्ट कर दिया गया था। जहाँ पुलिस ने छापा मारकर 25 करोड़ की रकम बरामद की।

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