- केंद्रीय मंत्री के गोद लिए हुए आदर्श गांव के विकास की ये है हकीकत
- उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में आदर्श गांवों के हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं।
- मोदी सरकार के तीन साल से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी कोई खास सुधार नहीं हुआ
- जबकि प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, पिछड़े गांवों को विकास की मुख्यधारा में लाने के लिए प्रत्येक सांसद को कम से कम एक गांव गोद लेकर विकास से जोड़ना है
- लेकिन बरेली में सांसद संतोष गंगवार और वर्तमान सरकार में केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्री का गोद लिया
- गांव अपनी बदहाली पर आँसू बहा रहा है।
- केंद्रीय मंत्री का आदर्श गांव है रहपुरा जागीर केंद्रीय मंत्री का आदर्श गांव है रहपुरा जागीर बरेली मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर की दूरी पर बसा फतेहगंज पिश्चमी ब्लॉक का यह रहपुरा जागीर गांव है।
- आबादी की लिहाज से यह बड़ा गांव है,
- यही वजह है कि यह गांव राजनेताओं के लिए चुनाव के समय बेहद उपजाऊ हो जाता है।
- नेता आते है, अपने भाषणों में उलझाते हैं, चुनावी मैदान जीतते हैं और गांव को भूल जाते हैं।
- रहपुरा जागीर की तस्वीर भी कुछ उस तरह के गांव की है जो अच्छी रोड, स्वच्छ पानी , साफ सफाई से महरूम होता है।
- इस गांव को उस समय एक उम्मीद जगी थी जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी कि प्रत्येक सांसद एक पिछड़े गांव को गोद लेगा,
- साथ ही उसका विकास सुनिश्चित करेगा।
- इसी के तहत बरेली से 7 बार रहे सांसद और वर्तमान में मोदी सरकार में श्रम और रोजगार मंत्री संतोष गंगवार ने इस गांव को गोद लिया
- और गांव के विकास के बड़े दावे किये।
- यह दावे कभी जमीनी हक़ीक़त पर उतर नहीं सके।
- ग्रामीण कहते है सांसद गांव में आये तो कई बार लेकिन कुछ ऐसा हुआ ही नहीं जिससे उनका गांव आदर्श गांव के रूप में पहचाना जा सके।
- मूलभूत सुविधाओं का अभाव मूलभूत सुविधाओं का अभाव
- ग्रामीण आज भी खुले में शौच के लिए जा रहे अभी तक गांव में नाममात्र के शौचालय बने हैं।
- हर तरफ गंदगी के अम्बार लगा है।
- गांव में मौजूद सातों तालाब लोगों की जिंदगी को और दुखदाई कर रहे हैं।
- गांव में नाम के लिए खड़ंजे है। अगर खड़ंजा है भी तो वह बेहद ख़राब है।
- गांव में स्वच्छ पानी का अभाव है।
- गांव में बिजली तो है लेकिन बिजली कई -कई दिन नहीं आती।
- अगर आती है तो बेहद कम वोल्टेज के चलते ग्रामीणों को परेशानी होती है।
- स्कूल की बात की जाये तो गांव में एक सरकारी स्कूल है।
- अच्छी शिक्षा के लिए बच्चों को पड़ोस के गांव के साथ फतेहगंज कस्बे तक जाना पड़ता है।
- वहीं स्वास्थ्य की बात की जाये तो ग्रामीणों का दावा है कि इलाज के लिए उन्हें प्राइवेट डॉक्टरों को सहारा लेना पड़ता है।
- गांव में बना अस्पताल खुलता नहीं, अगर खुल भी जाता है तो मरीज को फ्री इलाज़ के बदले में एक रुपए की जगह 10 रुपए चुकाना पड़ता है |
- गांव में बिजली कनेक्शन नहीं
- गांव में काफी समय बन रही टंकी का निर्माण पूरा नहीं हो सका है |
- ठेकेदार सर्वेश यादव के अनुसार उन्होंने गांव में पानी की पाइप लाइन बिछा देने के साथ टंकी का निर्माण पूरा कर लिया
- लेकिन सरकार से पैसा नहीं मिलने के चलते वह बिजली का कनेक्शन नहीं करा सके हैं।
- वही ग्रामीणों का आरोप है टंकी का निर्माण लगभग डेढ़ साल से चल रहा है लेकिन आज तक पूरा नहीं हो सका है।
- साथ ही ठेकेदार ने पूरे गांव के खड़ंजे खोदकर डाल दिए हैं, जिसके चलते लोग गिर-गिरकर घायल हो रहे हैं।
- लोग कीचड़ से गुजरकर जाते हैं
- लोग रहपुरा जागीर के ग्रामीणों को खराब रोड होने के कारण कीचड़ में गुजरकर अपने घर जाना पड़ता है।
- वहीं रहपुरा जागीर में पक्के रोड की बात की जाये तो मुख्य मार्ग को छोड़कर पूरे गांव में सिर्फ ग्राम प्रधान छेदा लाल के घर के सामने पक्का रोड है।
- कांग्रेस और सपा के नेताओं का कहना है भाजपा के लोग बहुत वादे करते है लेकिन हकीकत में कुछ नहीं करते।
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