सर्वजीत ने भी चीन हिरासत में नही झुकाया था सिर, अभिनंदन की तरह झेली थी यातनाएं
अभिनंदन के पाक हिरासत में होने के बाद से देश में उनसे जुडी घटनाओ पर लोगो ने नजरे दौड़ना शुरू कर दिया है। पाक हिरासत से भारत वापसी आने के बाद पुरे देश में उनके स्वागत को लेकर पूरा देश खुश व खुशियाँ मनाता नजर आ रहा है। वही वैसी ही एक स्टोरी सामने आई है। जिसमे पाकिस्तान में बंधक रहे विंग कमांडर अभिनंदन बहादुरी को सलाम करते हुए बाह के रुदमुली गांव के सर्वजीत का दर्द छलक पड़ा। क्योंकि सर्वजीत की कहानी भी कुछ अभिनंदन जैसी रही। सर्वजीत भी चीन में एक माह तक बंदी रहे थे।
- विंग कमांडर अभिनंदन को करीब 60 घंटे बाद दबाव में आकर पाकिस्तान ने छोड़ दिया।
- लेकिन सर्वजीत चीन में 10 माह तक कैद रहे।
- उन्होंने बताया कि दुश्मन देश की सूचनाओं के लिए बंधक सैनिक को मौत सी यातनाएं दी जाती हैं।
- पर, सैनिक झुकते नहीं।
- वर्ष 1962 में चीन के मोर्चे पर अपने चचेरे भाई रघुवीर सिंह के साथ बहादुरी से लडे़ बाह के रुदमुली गांव के सर्वजीत सिंह ल्हासा चीन में बंधक बना लिए गए थे।
- जबकि रघुवीर सिंह शहीद को गए थे।
- 10 माह बाद सर्वजीत सिंह मुक्त हुए।
इन इस साहस के लिए मिल चूका है सर्वजीत को जंगी अवार्ड
घटना क्रम के बारे में बताते हुए सर्वजीत ने बोले कि बंधक होने पर तमाम यातनाओ के बाद भी वे न टूटे और न ही झुके। 1965 में पाकिस्तान के खिलाफ जंग के मोर्चे पर भी गए थे। 1971 में भी बहादुरी से लडे़। उन्हें जंगी अवार्ड भी मिला। उन्होंने कहा कि अभिनंदन के दर्द को मुझसे बेहतर कौन समझेगा। सर्वजीत सिंह ने कहा कि चीन हो या पाकिस्तान। दुश्मन देश की सूचनाओं के लिए सैनिक को बेरहम यातनाएं देता है। मौत सा जीवन झेलने के बाद भी सैनिक कभी टूटता नहीं।
रिपोर्ट- संजीत सिंह सनी
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