हरदोई : हरदोई की डीएम शुभ्रा सक्सेना के निर्देशन में जिले में जल संरक्षण संग्रहण की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। पानी की बर्बादी और उसकी उपयोगिता को देखते हुए. उन्होंने जिले में जल संरक्षण की पहल की है। साथ ही सभी से पानी बचाने की बात कही। उन्होंने लोगो से कहा की हम सभी जानते हैं की जल बिना जीवन नहीं है बावजूद इसके हम जपानी की बर्बादी करते रहते हैं. घटते भूजल,गर्मी में जल संकट को डीएम शुभ्रा सक्सेना ने गंभीरता से लिया। इसके तहत 19 ब्लाक के गांवों के तालाबों का जीर्णोद्धार होगा।
930 तालाबों को मिलेगा नया जीवन
- जल संरक्षण का अर्थ है जल के प्रयोग को घटाना व सफाई, निर्माण एवं कृषि आदि के लिए बेकार या गंदे जल का पुनःचक्रण या रिसाइक्लिंग करना।
- हरदोई की डीएम शुभ्रा सक्सेना ने अपने जिले में ऐसा करने के निर्देश दे दिए हैं।
- उन्होंने कहा है की पानी की महत्ता को देखते हुए अब हमें जल संरक्षण को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकताओं में शामिल करना चाहिए।
- देश में कारगर जन-जागरण अभियान चलाने की आवश्यकता है।
- जल संरक्षण के कुछ परंपरागत उपाय तो बेहद सरल और कारगर रहे हैं।
- डीएम शुभ्रा सक्सेना ने जल संरक्षण संग्रहण पर काम करते हुए इसके लिए प्लान भी बना लिया है.
- प्लान के मुताबिक 930 तालाबों को नया जीवन दिया जायेगा।
- इसके लिए उनकी मरम्मत और जो भी जरुरत होगी काम कराया जायेगा।
- डीएम का कहना है की ये सारा काम मनरेगा से होगा।
- जिसके तहत 19 ब्लाक के गांवों के तालाबों का जीर्णोद्धार किया जायेगा।
- पहले गाँवों, कस्बों और सेहरों में तालाब होते थे, जिनमें मानसून की बारिश का पानी एकत्रित हो जाता था।
- दुर्भाग्य से लोगों ने तालाबों को पाट कर घर बना लिए और जल की आपूर्ति खुद ही बन्द कर दी।
- गंगा और यमुना जैसी बड़ी नदियों की नियमित सफाई होनी चाहिए ।
- जंगलों के काटे जाने से भूमिगत जल सूखता जाता हैं। बढ़ती जनसंख्या और औद्योगीकरण के कारण पौधरोपण लगातार किया जाना जरूरी है।
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