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मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के ड्रीम प्रोजेक्ट समाजवादी स्वास्थ्य सेवा (108) की शुरुआत जनता के लिए की गई थी. चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए इस सुविधा की शुरुआत की गई थी. ये सेवा जनता को मुफ्त में उपलब्ध करायी जाती रही है. इस सेवा के माध्यम से मरीज को अस्पताल तक पहुँचाने के लिए एम्बुलेंस मुफ्त में दी जाती है. इसके लिए मरीज को 108 नंबर डायल करना होता है.
जी.वी.के. करता है एम्बुलेंस सेवा का संचालन:
उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा एम्बुलेंस सेवा 108 और 102 के संचालन के लिए दिनांक 11 नवम्बर 2011 से 2016 के बीच 5 साल की अवधि के लिए 798.50 करोड़ का बजट दिया गया है. जिसमें प्रति एम्बुलेंस 1.17 लाख रूपये के हिसाब से प्रतिमाह बजट दिया गया. साथ ही प्रतिवर्ष 10 फीसदी अनुवृद्धि के बाद 1.88 लाख रूपये देने का प्रावधान भी है.
108 सेवा को ऑपरेट करने वाले कर्मचारियों का शोषण:
- इस एम्बुलेंस सेवा के संचालन में तमाम अनियमितताएं सामने आने लगी हैं.
- एम्बुलेंस कर्मी के वेतन वृद्धि के नाम पर शोषण के अलावा कुछ नही मिला.
- इस 108 नंबर का सच जानने के बाद प्रदेश की जनता अपने आप को ठगा हुआ महसूस करेगी.
- मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी कई बार इस स्वास्थ्य सेवा पर अपनी पीठ थपथपा चुके हैं.
- लेकिन इस स्वास्थ्य सेवा को ऑपरेट करने वाले कर्मचारियों का जमकर शोषण होता है.
- उनसे जबरन ओवरटाइम कराया जाता है.
- जबकि ओवरटाइम का कोई भी अतिरिक्त पैसा नही दिया जाता है.
- वेतन के नाम पर 4-6 हजार रूपये दिए जाते हैं.
- जबकि जॉइनिंग के वक्त 10 हजार देने के पत्र पर हस्ताक्षर होते हैं.
- बाकी के पैसे कहाँ जाते हैं, इसके बारे में कोई कुछ नहीं बताता है.
- कंपनी के बड़े अधिकारी जाँच करने को तैयार नही होते हैं.
- शिकायत करने पर भी उन्हें नौकरी से बाहर कर दिया जाता है.
- मुख्य कर्मी EMT और पायलट का वेतन नहीं बढ़ाया जाता है.
- जबकि सरकार की तरफ से इन्हें सालाना बजट बढ़ाकर दिया जाता है.
अगले पेज पर – कैसे तैयार हुआ घोटाले का प्लेटफार्म
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प्रति एम्बुलेंस 25 फर्जी केस होते हैं दर्ज:
- प्रदेश के सभी जिलों में ये सेवा चल रही है.
- एम्बुलेंस चालक को फर्जी केस नोट कराने का दबाव बनाया जाता है.
- जो चालक फर्जी केस बनाने के लिए तैयार हुआ वही तत्काल सुरक्षित है.
- अन्यथा उन्हें बिना किसी नोटिस के नौकरी से निकाल दिया जाता है.
- कंपनी 35 हजार रूपये का बैंक ड्राफ्ट बनवाती है जो कि सरकार के निर्देशों के खिलाफ है.
- 35 हजार रूपये का बैंक ड्राफ्ट देने के बदले उन्हें नौकरी दी जाती है.
- सेवा 108 में उपयोग किये जाने वाले फ़ोन और सिम भी EMT पायलट से खरीदने को कहे जाते हैं.
https://youtu.be/rnt5-MMGzoI
कागजों पर दौड़ती है एम्बुलेंस:
- कागजों पर दौड़ती हैं अधिकतर गाड़ियाँ.
- कई गाड़ियाँ तो गराज में खड़ी होकर भी लाखों का तेल गटक जाती हैं.
- इन गाड़ियों के लिए तेल के नाम पर बटोरे जाने वाले पैसे कंपनी के बड़े अधिकारी अपनी जेब मजबूत करते हैं.
- फर्जी केस दर्ज होता है.
- हॉस्पिटल में रिसीविंग नही होती है.
- एक केस का 4 हजार रुपया सीधे पॉकेट में जाता है.
- प्रति एम्बुलेंस 15 केस फर्जी रजिस्टर्ड हो जाते हैं.
- इस हिसाब से करीब 60,000 रूपये प्रति एम्बुलेंस अवैध तरीके से कंपनी कमा लेती है.
- इतना बड़ा घोटाला सरकार के नाक के नीचे हो रहा है लेकिन सरकार ऑंखें मूंदकर बैठी है.
https://youtu.be/rqMdUSsHO0c
वीडियो देखें अगले पेज पर : घोटाले में सीईओ का नाम भी आया सामने:
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कर्मियों ने कैमरे के सामने लिया घोटाले में लिप्त बड़े अधिकारियों का नाम :
इस स्वास्थ्य सेवा को कण्ट्रोल करने के लिए हर जिले में अधिकारी बनाये गए. इनकी देखरेख में एम्बुलेंस संचालन का काम होता है. इस घोटाले में शामिल लोगों में अधिकारियों का नाम सामने आने के बाद से प्रदेश सरकार और उनके मंत्रियों में खलबली मच गई है.
- हर जिले में EME और PM बनाये गए हैं.
- इनके निर्देशों पर अम्बुलेंस का संचालन किया जाता है.
- इन्हीं के निर्देशों पर फर्जी केस दर्ज कराने का दबाव भी EMT पायलट पर बनाया जाता है.
- सीईओ संजय खोसला , विजय रावत और सुधीर मिश्रा पायलट पर फर्जी केस लाने के लिए बोलते हैं.
- फर्जी केस ना पाने की स्थिति में नौकरी से निकालने की धमकी भी दी जाती है.
https://youtu.be/msP8lCLAGa0
बदायूं: गराज में ही 124 लीटर डीजल पी गई स्वास्थ्य सेवा-108 की एम्बुलेंस:
उदाहरण के तौर पर, बदायूं के बिसौली में तैनात एक एम्बुलेंस २ अगस्त से 7 अगस्त तक गराज खड़ी थी लेकिन उसके नाम पर 17 महिलाओं को डिलीवरी के स्वास्थ्य केंद्र पहुँचाने का दावा किया गया. ये सारे केस रजिस्टर किये गए हैं. यही नहीं 124 लीटर डीजल भी खर्ज होने कि बात की गई. संचालक के इशारे पर एम्बुलेंस को दौड़ाकर 124 डीजल के पैसे बना लिए गए. NRHM के प्रबंधक कौशल शर्मा ने भी एम्बुलेंस सेवा और इस दौरान होने वाली गड़बड़ी को स्वीकार किया है. लेकिन अभी तक इस मामले पर जाँच का केवल आश्वासन ही मिल पाया है.
धरने पर बैठे निकाले गए ड्राईवर और अन्य कर्मी:
कंपनी द्वारा ज्यादती के बाद और नौकरी से निकाले जाने के बाद सभी कर्मी कर्मी सड़कों पर आ गए हैं. इस पुरे घोटाले का सच लेकर वो धरने पर बैठ गए हैं. प्रदेश सरकार ने उस स्थल पर मीडिया को जाने से रोकने का आदेश जारी किया है. हजारों की संख्या में कर्मी कंपनी के शोषण के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं और RTI एक्टिविस्ट गौरव भी दिल्ली से आकर उनके साथ जुड़े थे.
अब निकाले गए कर्मी सड़कों पर आकर प्रदर्शन कर रहे हैं. अनशन कर रहे हैं लेकिन इनकी सुनने वाला कोई नहीं है. सरकारी बजट से चलने वाले इस सेवा में J.V.K जनता के पैसों से किस कदर खेल रही है, इसकी फ़िक्र किसी को नहीं है.
अखिलेश यादव सरकार इस समाजवादी स्वास्थ्य सेवा 108 को लेकर कितनी लापरवाह है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि दो हफ्ते से J.V.K से निकाले गए कर्मी धरने पर बैठे हैं लेकिन उनकी बात सुनने का वक्त किसी के पास नहीं है. कर्मियों का दावा है कि इस घोटाले में सरकार के कई लोग भी शामिल है.
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