उत्तर प्रदेश के हरदोई जिला में जहाँ अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस पर प्रसासनिक अमला 11 हजार बालिकाओं के साथ विश्व रिकॉर्ड बनाने में जुटा था। प्रशासनिक लापरवाही के चलते एक छात्रा की भूख प्यास से मौत हो गयी। छात्रा के परिजनों का आरोप है कि दिन भर कड़ी धूप में खड़े रहने व पीने का पानी न मिलने से बच्ची की हालत बिगड़ गयी। जब उसे अस्पताल ले जाया गया तो कुछ ही देर में उसकी मौत हो गयी।
दरअसल 11 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के उपलक्ष्य में प्रशासन द्वारा आयोजित गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में प्रतिभाग करने के लिए शहर के स्कूल, कालेजों की 11 हजार छात्राओं को बुलाया गया था। सुबह 9:00 बजे से सभी छात्राएं जीआईसी परिसर में एकत्र हो गयी थी। परिजनों का आरोप है कि लगातार एक ही स्थान पर 5 घण्टे से खड़ी छात्राओं को पानी तक नसीब नही हुआ। उनके बैठने के लिए भी कोई व्यवस्था नहीं की गई थी। कड़ी धूप से परेशान छात्राएं जब को छांव को ओर बढ़ी तो उन्हें खदेड़ दिया गया। नतीजन तमाम छात्राओं की हालत बिगड़ने लगी। इसी में शहर के पिहानी चुंगी स्थित आर्य कन्या पाठशाला की कक्षा 9 की छात्रा सुप्रिया शर्मा भी थी।
सुप्रिया जब घर पहुंची तो उसकी हालत गंभीर हो चुकी थी। सुप्रिया को देखते ही परिजन घबड़ा गए। आनन-फानन में उसे जिला अस्पताल ले जाया गया। जहां कुछ समय बाद ही उसकी मौत हो गयी। इस घटना से परिजनों में कोहराम मच गया। शहर के मोहल्ला आशानगर निवासी नरेश चंद्र शर्मा की दो बेटियों में सुप्रिया छोटी थी। 14 वर्षीय सुप्रिया विश्व मे हरदोई का नाम रोशन करने निकली थी, पर उसे क्या पता था कि वह अव्यवस्थाओं की भेंट चढ़ जाएगी। जीआईसी के जिस परिसर में 11 हजार छात्राएं एकत्र थीं, वहां पीने के पानी का कोई इंतजाम नहीं किया गया था। यहां तक कि कड़ी धूप से बचने के लिए आयोजको ने टेंट तक नहीं लगवाया। प्रशासन के अलावा कुछ स्कूल प्रबंधन ने भी अपने स्कूल कालेज की छात्राओं की देखरेख नहीं की। जिसके चलते 5 घण्टे तक छात्राएं धूप व प्यास से बिलबिलाती रहीं। हालांकि आयोजक बीएसए हेमन्त राव ने कहाकि प्रशासन की कोई लापरवाही सामने नहीं आई है।
इनपुट- मनोज तिवारी
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