भारत को हम हमेशा एक विकास की ओर अग्रसर देश यानी डेवलपिंग नेशन के रूप में जानते हैं और भी प्रस्तुत करते हैं. परंतु जहाँ एक ओर यह देश विकास की ओर अपने कदम आगे बढ़ा रहा है तो वहीँ दूसरी ओर इस देश की ज़मीनी हकीकत की बात की जाए तो अभी भी यहाँ पर कई मुद्दे ऐसे हैं जिनसे निबटना देश के लिए अत्यंत आवश्यक है. इन्ही कुछ मामलों में से एक इस देश में यत्र-तत्र पड़ा कूड़ा या कबाड़ है जो बाहर से आने वाले लोगों को देश की एक अलग ही तस्वीर पेश करता है. बूँद-बूँद से भरे सरोवर वाली कहावत तो आपने सुनी ही होगी परंतु बनारस में एक संस्थान ऐसा भी है जिसने इस कहावत को चरितार्थ कर दिया है. दरअसल यहाँ स्क्रैपशाला नाम की एक संस्था ऐसी है जो आपके द्वारा फेंके गए कूड़े व कबाड़ को एक नया और बेहतरीन रूप देकर उसे रीसायकल करने का काम करती है. दरअसल इस संस्था का अहम काम यहाँ के कूड़े व कबाड़ को ख़त्म करने का है और बता दें कि यह संस्था यह काम बहुत ही कलात्मक तरीके से कर रही है.
IIT मद्रास जैसे शिक्षा संस्थान से जुड़ी शिखा शाह ने संस्था की रखी नींव :
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- आम तौर पर देश में पढ़ने वाली युवा पीढ़ी नए आयाम तलाशने के लिए या तो अपने घरों से दूर दूसरे शहरों में नौकरी करते हैं.
- या फिर किसी अच्छे मौके की तलाश में देश के बाहर जाकर नए जीवन व नौकरी की खोज करते हैं.
- परंतु इससे अलग मद्रास के आईआईटी कॉलेज से जुड़ी शिखा शाह एक अलग सोच रखती हैं.
- बता दें कि अपनी पढ़ाई पूरी करने के साथ ही वे अपने घर वाराणसी वापस आयीं साथ ही एक ऐसा कदम उठाया जिसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते हैं.
- दरअसल उन्होंने अपने आस-पास पड़े कबाड़ व कूड़े की समस्या को बहुत गंभीरता से लेते हुए एक कदम उठाया है.
- जिसके बाद ही स्क्रैपशाला जैसी संस्था की नींव रखी गयी व इसके अंतर्गत कला ने जन्म लिया.
- आपको बता दें कि शिखा शाह के इस कदम से कई बेरोजगार लोगों को नौकरी मिली है.
- यही नहीं इस संस्था द्वारा बनाये गए उत्पाद अपने आप में अनोखे होते हैं साथ ही देखने वाले का मन मोहते हैं.
- यही नहीं कई लोग तो इन उत्पादों को अपने घर लाकर अपने घर की साज-सज्जा को बढ़ाते हैं.
- यदि आप पहली बार इन उत्पादों को देखेंगे तो आपको लगेगा ही नहीं कि यह किसी तरह के कबाड़ से बने हैं जो कला का बेहतरीन उदहारण है.