उत्तर प्रदेश में पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी अब विभागीय प्रताड़ना से तंग होकर आत्महत्या कर रहे हैं। अधिकारी तो दूर अब कर्मचारी भी मौत को लगातार गले लगा रहे हैं। इसका जीता जगता उदाहरण यूपी के कई जिलों में लगातार देखने को मिल रहा है। ताजा मामला ललितपुर जिला का है। यहां एक एसडीएम ने खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली। गोली चलने की आवाज सुनकर घरवाले दौड़े तो उनका शव खून से लथपथ कमरे में देख परिजनों के होश उड़ गए। घरवालों ने इसकी सूचना पुलिस को दी। सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस ने शव कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया। पुलिस ने मौके से घटना में प्रयुक्त बंदूक कब्जे में लेकर पूरे मामले की तफ्तीश शुरू कर दी है।
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जानकारी के मुताबिक, ललितपुर में तैनात एसडीएम हेमंत कुमार ने खुद को बंदूक से गोली मारकर आत्महत्या कर ली। गोली लगते ही उनका भेजा बाहर आ गया।आत्महत्या की खबर मिलते ही परिवार में मातम छा गया। मृतक एसडीएम परिवार सहित मुरादाबाद के सिविल लाइन स्थित टीडीआई सिटी में रहते थे। एसडीएम हेमंत कुमार मुरादाबाद में तहसीलदार सदर रह चुकें है। हेमंत मूलरूप से उत्तराखंड के अल्मोड़ा जनपद के रहने वाले थे। इस समय वह ललितपुर में तैनात थे। हेमंत की पत्नी ने बताया कि वह परिवार को लेकर तनाव में थे। नियुक्ति विभाग में तबादले को लेकर प्रार्थना पत्र दिया था। परन्तु अधिकारियों ने एक ना सुनी। मृतक एसडीएम की पत्नी का स्वास्थ्य ठीक नहीं है। वह भी मानसिक कमजोर बेटे को लेकर भी परेशान थे। फिलहाल हेमंत की मौत से पत्नी को सदमा लगा है। वहीं घरवालों का रो-रोकर बुरा हाल है।
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]घरेलू कलह और ऊपरी दबाव से जिन्दगी की जंग हार रहे अफसर और कर्मचारी[/penci_blockquote]
➡28 नवंबर 2009 को आईएएस अधिकारी हरमिन्दर राज सिंह ने खुद को गोली मारकर खुदकुशी कर ली थी। हरमिन्दर की मौत भी विभागीय व घरेलू कलह का नतीजा ही बताया जा रहा था।
➡27 जुलाई 2012 को वरिष्ठ जेल अधिक्षक आरके केसरवानी ने आत्महत्या कर ली थी। उन्होंने बड़े-बड़े माफिया एवं अपराधियों को अपनी कार्यशैली से नतमस्तक कर दिया था, लेकिन वह अपने ही घर में उपजे पारिवारिक कलह का समना नहीं कर सके।
➡29 मई 2018 को गोमतीनगर स्थित एटीएस मुख्यालय में तैनात रहे एएसपी राजेश साहनी भी कम बहादुर नहीं थे, चर्चा रही कि वे भी आतंक का पर्याय बने आतंकियों एवं खूंखार अपराधियों के घुटने टेका दिये। लेकिन साहनी के ऊपर भी तनाव इस कदर हावी हुआ कि वह हिम्मत हार गए और खुद को गोली मारकर हमेशा के लिए जीवन लीला समाप्त कर ली।
➡5 सितंबर 2018 को कानपुर में तैनात आईपीएस अधिकारी सुरेन्द्र कुमार दास ने जहरीला पदार्थ खा लिया। हालत बिगड़ती देख उन्हें अस्पताल ले जाया गया, लेकिन पांच दिन बाद बहादुर दास ने आखिरी सांस ले ली। इन तीन आईपएसों की खुदकुशी साबित कर रही है कि अफसर विभागीय तनाव के साथ घरेलू कलह के चलते जिंदगी की जंग हा रहे हैं।
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