नीति आयोग के निर्देश पर नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा गठित कमेटी कह रही है कि इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उड़ान अकादमी (इग्रुआ) को राजीव गांधी राष्ट्रीय उड़ान यूनिवर्सिटी (रागनाऊ) में ‘स्कूल ऑफ फ्लाइट एंड मेंटीनेंस’ के रूप में मर्ज कर दिया जाए। इसके विपरीत इग्रुआ का विदेशी प्रबंधन इसे निजी हाथों में दे दिए जाने की वकालत कर रहा है। इसके लिए इग्रुआ जैसे प्रतिष्ठित संस्थान को निजी हाथों में बेचने के लिए छह माह बाद अक्टूबर में कंसल्टेंट कम ट्रान्जेक्शन एडवाइजर की नियुक्ति की प्रक्रिया में शुरू करा दी। खाल बचाने के लिए इस प्रक्रिया के तहत मांगे गए टेंडरों की शर्तों में लिख दिया गया-‘इसे किसी भी स्टेज पर निरस्त किया जा सकता है।’ चर्चा यहां तक है कि एक विदेशी कंपनी को एडवाइजर नियुक्त भी किया चुका है।
रिपोर्ट में कहा गया कि इग्रुआ अपने लक्ष्य को पाने में असफल
- नागरिक उड्डयन के क्षेत्र में कार्यरत इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उड़ान अकादमी, राजीव गांधी नेशनल एविएशन यूनिवर्सिटी और महाराष्ट्र के गोंदिया में पांच साल पहले अस्तित्व में आई नेशनल फ्लाइंग ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट (एनएफटीआई) कार्य कर रही हैं।
- इग्रुआ और रागनाऊ फुरसतगंज में एक ही परिसर में खुले हैं।
- नीति आयोग के निर्देश के क्रम में इग्रुआ और रागनाऊ के रिव्यू के लिए नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने एक कमेटी राजीव गांधी नेशनल एविएशन यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर की अध्यक्षता में गठित की।
- इसमें नागरिक उड्डयन मंत्रालय के उप सचिव केवी उन्नीकृष्णन, एयर इंडिया के कार्यकारी निदेशक कैप्टन एके गोविल, नागरिक उड्डयन मंत्रालय के निदेशक (ईआर) अंशुमाली रस्तोगी को सदस्य बनाया गया।
- इस कमेटी ने इसी साल 14 मार्च को तैयार की गई रिपोर्ट में कहा कि इग्रुआ अपने लक्ष्य को पाने में असफल रहा है।
- इसलिए इसे रजीव गांधी नेशनल यूनिवर्सिटी में स्कूल ऑफ फ्लाइंग एंड मेंटीनेंस के रूप में मर्ज कर दिया जाना उचित रहेगा।
- कमेटी ने माना कि यह इग्रुआ के ही हित में रहेगा।
इग्रुआ का प्रबंधन 2008 से सीएई के पास
- कमेटी की रिपोर्ट के विपरीत इग्रुआ का प्रबंधन संभाल रही कनाडा की कंपनी सीएई के कहने पर नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने इग्रुआ को निजी हाथों में देने की प्रक्रिया अक्टूबर माह में प्रारंभ कर दी।
- मंत्रालय ने इग्रुआ को निजी हाथों में देने के लिए कंसल्टेंट कम ट्रांन्जेक्शन एडवाइजर के लिए टेंडर इनवाइट कर लिए।
- सूत्रों का कहना है कि यह प्रक्रिया तेजी से चल रही है।
- चर्चा यह भी है कि इग्रुआ को फिर किसी विदेशी कंपनी के हाथों में दिया भी जा चुका है।
- यूपीए सरकार में इग्रुआ का प्रबंधन नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने कनाडा की कंपनी सीएई को यह कहते हुए सौंप दिया था कि सीएई यहां विश्वस्तरीय फ्लाइट की ट्रेनिंग शुरू कराएगी और कोर्स लागू करेगी।
- सीएई भी ऐसा करने में विफल रही।
- मंत्रालय द्वारा गठित रिव्यू कमेटी की रिपोर्ट में यह कहा भी गया है।
- सीएई को प्रबंधन के लिए हर साल करीब चार करोड़ रुपए दिए जाते हैं।
- इस विदेशी कंपनी ने प्रबंधन संभालने के लिए देश के ही एक रिटायर एयरवाइस मार्शल को नियुक्त कर कर रखा है।
1985 में राजीव गांधी ने शुरू की थी उड़ान अकादमी
- सीएई का कांट्रैक्ट मार्च 2018 में समाप्त हो रहा है।
- मंत्रालय के कुछ अधिकारी इसे फिर निजी हाथों में देने की तैयारी में हैं।
- हालांकि रिव्यू रिपोर्ट कह रही है कि इग्रुआ और रागनाऊ दोनों ही आटोनॉमस हैं।
- इन्हें आपस में मिला दिया जाना ही देश और संस्था दोनों के हित में है।
- इग्रुआ की स्थापना तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने अमेठी संसदीय क्षेत्र में आने वाले फुरसतगंज एयरफील्ड पर की थी।
- इसका मकसद देश में विश्वस्तरीय पायलट तैयार करना था और एविएशन सेक्टर में पायलटों की कमी को पूरा करना था।
- इग्रुआ में केंद्र सरकार हर साल करीब पौने सात करोड़ रुपए अनुदान भी देती है।
- यहां कामर्शियल पायलट कोर्स (सीपीएल) की सालाना फीस अभी 32 लाख रुपए है।
- इसे बढ़ाकर 40 लाख करने का प्रस्ताव विचाराधीन है।
केंद्र सरकार ने आटोनॉमस बॉडीज की शुरू कराई समीक्षा
- केंद्र सरकार की इच्छा पर पिछले वर्ष नीति आयोग ने देश भर में कार्यरत पौने छह सौ से अधिक स्वायत्तशासी संस्थाओं को आपस में मर्ज करने के संबंध में समीक्षाएं शुरू कराई थीं।
- केंद्रीय वित्त मंत्रालय के संयुक्त सचिव (कार्मिक) ऐनी जार्ज मैथ्यू ने दो नवंबर 2016 को एक पत्र जारी कर ऐसी ऑटोनामस बॉडीज की समीक्षा करने को कहा था।
मजदूर संघ के नेता ने लिखी स्मृति ईरानी को चिट्ठी
- अखिल भारतीय केंद्रीय सार्वजनिक प्रतिष्ठान मजदूर संघ के उपाध्यक्ष नागेश सिंह ने केंद्रीय वस्त्र एवं सूचना प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी को लंबा चौड़ा पत्र भेजकर इग्रुआ में प्रबंधन संभालने वाली विदेशी कंपनी के ‘खेल’ को उजागर किया है।
- उनका कहना है कि इग्रुआ और रागनाऊ का आपस में विलय ही कर्मचारियों के भी हित में है लेकिन नागरिक उड्डयन मंत्रालय के कुछ अधिकारी विदेशी कंपनी से मिलकर इग्रुआ को निजी हाथों में देने का कुचक्र रच रहे हैं।
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